IRCTC/Indian Railways : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में बिना गार्ड के पहली बार दौड़ी मालगाड़ी, चक्रधरपुर रेल मंडल में हुआ सफल ट्रायल
IRCTC/Indian Railways, west singhbhum news, चक्रधरपुर (शीन अनवर) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में गार्ड रहित पायलट प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण पूर्व रेलवे का चक्रधरपुर रेल मंडल अपनी माल गाड़ियों को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन की तर्ज पर अब बिना गार्ड के ही चलायेगा. इसके लिये चक्रधरपुर रेल मंडल को सर्वप्रथम पांच माल गाड़ियों के लिये इंड ऑफ ट्रेन टेलिमेटरी (इओटीटी) उपकरण मिला. गुरुवार रात 7 बजे चक्रधरपुर के लाइन संख्या दो से राउरकेला भेजी गयी एन/एचएस/पीजी नामक मालगाड़ी में इओटीटी उपकरण का सफल ट्रायल किया गया. इस ट्रायल में मालगाड़ी के चालक लोको पायलट एचके साहु ने संचालन किया.
IRCTC/Indian Railways, west singhbhum news, चक्रधरपुर (शीन अनवर) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में गार्ड रहित पायलट प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण पूर्व रेलवे का चक्रधरपुर रेल मंडल अपनी माल गाड़ियों को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन की तर्ज पर अब बिना गार्ड के ही चलायेगा. इसके लिये चक्रधरपुर रेल मंडल को सर्वप्रथम पांच माल गाड़ियों के लिये इंड ऑफ ट्रेन टेलिमेटरी (इओटीटी) उपकरण मिला. गुरुवार रात 7 बजे चक्रधरपुर के लाइन संख्या दो से राउरकेला भेजी गयी एन/एचएस/पीजी नामक मालगाड़ी में इओटीटी उपकरण का सफल ट्रायल किया गया. इस ट्रायल में मालगाड़ी के चालक लोको पायलट एचके साहु ने संचालन किया.
ट्रायल के दौरान ईओटीटी उपकरण के संचालन गतिविधि पर नजर रखने के लिये ब्रेकवेन में गार्ड को भी भेजा गया था. बताया गया कि ईओटीटी एक ऐसा उपकरण है, जिसका एक हिस्सा इंजन में ड्राइवर के पास तो दूसरा हिस्सा ट्रेन के अंतिम कोच व ब्रेकभेन में लगा होता है. इस तरह गार्ड रहित ट्रेन में इस उपकरण से ड्राइवर को पता चलता रहता है कि ट्रेन के कोच अलग नहीं हुये हैं. रेलवे की माने तो वर्तमान में पूरी की पूरी गाड़ियां एक छोर से दूसरे छोर तक चल रही है. गाड़ियों की लंबाई इतनी बढ़ गयी है कि घुमाव पर पूरी गाड़ी का अवलोकन भी संभव नहीं है, ऐसे में गार्ड की तैनाती का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है.
रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक सह जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार पाठक के मुताबिक ईओटीटी एक ऐसा सिस्टम है कि यदि ट्रेन में कहीं से भी कोच अलग (डिपार्ट) होते हैं, तो इस उपकरण के माध्यम से उनके बारे में ड्राइवर को तुरंत पता चल जाता है, फिलहाल गार्ड द्वारा यह देखा जाता है कि ट्रेन के कोच व डिब्बे यदि कहीं से अलग हुये हैं, तो वह ड्राइवर को संचार माध्यम से इसकी जानकारी देता है, लेकिन जब यही काम ईओटीटी उपकरण करेगा, तो गार्ड की जरुरत नहीं रह जायेगी. वर्तमान में ऐसे पांच ईओटीटी उपकरण मिली है. चक्रधरपुर रेल मंडल में मालगाड़ियों में ईओटीटी का ट्रायल व प्रयोग पूरी तरह सफल रहा.
परिचालन से जुड़े रेलकर्मियों में उपकरण को लेकर भय है, कि सेक्शन में मालगाड़ी दो पार्ट हो जाती है, तो गार्ड गार्डभेन का हेंड ब्रेक लगाकर गाड़ी रॉल डाउन होने से बचाव करता है, पीछे लाइन को करीब 10-10 मीटर पर गार्ड डेटोनेटर लगा देता है और गार्ड गाड़ी का बचाव करता है. गार्ड नहीं रहने पर उपकरण बचाव नहीं करेगा. अगर गाड़ी पार्ट होने पर वहां सुरक्षा निश्चित ही प्रभावित हो जायेगी.
Posted By : Guru Swarup Mishra