IRCTC कराएगा हरिद्वार से लेकर मथुरा तक का दर्शन, लॉन्च किया उत्तर भारत देवभूमि टूर पैकेज, जानें पूरी डिटेल

IRCTC Tour Package: अगर आप तीर्थयात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आईआरसीटीसी (IRCTC) ने एक शानदार टूर पैकेज लॉन्च किया है. इस पैकेज के तहत आपको धार्मिक स्थलों का दर्शन करने मौका मिलेगा.

By Shweta Pandey | September 11, 2023 3:06 PM
an image

IRCTC Tour Package: अगर आप तीर्थयात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आईआरसीटीसी (IRCTC) ने एक शानदार टूर पैकेज लॉन्च किया है. इस पैकेज के तहत आपको धार्मिक स्थलों के दर्शन का मौका मिलेगा. चलिए जानते हैं विस्तार से.

IRCTC देवभूमि टूर पैकेज

दरअसल IRCTC उत्तर भारत देवभूमि टूर पैकेज लेकर आया है. इसमें आपको भारत गौरव स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन (Bharat Gaurav Special Tourist Train) हरिद्वार, ऋषिकेश, अमृतसर, वैष्णो देवी मंदिर और मथुरा का दर्शन कराया जाएगा.

कैसे करें बुकिंग

बता दें आईआरसीटीसी आपको 8 रात और 9 दिन धार्मिक स्थलों का दर्शन कराएगा. इस टूर पैकेज की शुरुआत 28 अक्टूबर को है. इसमें पुणे के अलावा लोनावाला, कर्जत, कल्याण, वसई रोड, वापी, सूरत और वडोदरा स्टेशनों से बोर्डिंग/डिबोर्डिंग कर सकेंगे. इसकी बुकिंग के लिए आपको आईआरसीटीसी की वेबसाइट irctctourism.com पर जाकर करना होगा.

टूर पैकेज का किराया
इस पैकेज की शुरुआत 15,300 रुपये प्रति व्यक्ति से है. स्लीपर कोच में जाते हैं तो प्रति व्यक्ति 15,300 रुपये किराया देना होगा. थर्ड एसी की में जाते हैं तो प्रति व्यक्ति 27,200 रुपये देना होगा. सेकेंड एसी में जाते हैं तो प्रति व्यक्ति 32,900 रुपये किराया देना होगा.

टूर पैकेज का नाम

इस पैकेज का नाम- Uttar Bharat Devbhoomi Yatra (WZBG08) है

Also Read: करवा चौथ को बनाएं और भी स्पेशल, अपनी पत्नी को डिनर डेट पर लेकर जाएं लखनऊ की इन बेस्ट जगहों पर, देखिए लिस्ट

ऋषिकेश में घूमने की जगह

  • बैजनाथ महादेव मंदिर, ऋषिकेश शहर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे प्राचीन काल से भगवान शिव के प्रमुख पर्वतीय स्थलों में से एक माना जाता है. बैजनाथ मंदिर पवित्र गंगा घाट के निकट स्थित है और यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. इस मंदिर का नाम श्री वैद्यनाथ महादेव से भी संबंधित है. इस मंदिर की प्रतिमा भगवान शिव की त्रिपुंड चिह्न से सजी हुई है. बता दें बैजनाथ महादेव मंदिर का मुख्य उत्सव शिवरात्रि को मनाया जाता है, जिसे भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में माना जाता है. इस दिन भगवान शिव के भक्त भजन, कीर्तन और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

  • लक्ष्मण झूला ऋषिकेश का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो गंगा नदी पर बना हुआ पुल है. यह पुल लक्ष्मण जी को समर्पित है. इस पुल का नाम लक्ष्मण झूला भारतीय इतिहास की एक प्रमुख कथा के अनुसार है. बता दें लक्ष्मण झूला का निर्माण 1929 में हुआ था और यह प्राचीन तार से बना है, जिसे पुल बनाने के लिए उपयोग किया गया है. इस पुल की लम्बाई लगभग 450 फीट है और इसका उचाई लगभग 70 फीट है. यह पुल ऋषिकेश के मुख्य बाजार और राम झूला के बीच में स्थित है. लक्ष्मण झूला पर चलना एक अनोखा अनुभव है. यहां से गंगा नदी का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है. इस पुल पर पर्वतीय वातावरण का आनंद लेने के लिए भी लोग आते हैं. यहां पर्यटक शांतिपूर्वक सैर करते हैं और धार्मिक वातावरण में आत्मा की शांति और सकारात्मकता का अनुभव करते हैं.

अमृतसर में घूमने की जगह

  • अमृतसर के सबसे आध्यात्मिक स्थानों में से एक स्वर्ण मंदिर हैं जोकि श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. यह मंदिर सिख धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों मे शामिल हैं और धार्मिक उत्साह, पवित्रता, संस्कृति और दिव्यता का अनुभव इस मंदिर में किया जा सकता है. गोल्डन टेम्पल का इतिहास बताता हैं कि विध्वंसों के दौर से गुजरने के बाद इसे सन 1830 में संगमरमर और सोने से महाराजा रणजीत सिंह द्वारा फिर से निर्मित करबाया गया था. यह मंदिर अमृतसर शहर के केंद्र में स्थित हैं.

  • अमृतसर से 28 किलोमीटर और लाहौर से 22 किलोमीटर की दूरी भारत और पाकिस्तान की चिन्हित सीमा को वाघा बॉर्डर नाम दिया गया हैं. बाघा बॉर्डर भारत में पंजाब के अमृतसर में स्थित हैं. बाघा बॉर्डर पर शाम के वक्त पर्यटक घूमने आते हैं.

  • जलियांवाला बाग

    इस बाग की कहानी किसे नहीं पता? जिसने भी इस बाग की कहानी को सुना, वो रो पड़ा है और जिसने समझा है, वह एक बार के लिए जरूर भावुक हो जाता है. यह वहीं बाग है जहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सबसे बड़ी आहुति दी गई थी. जिसके निशानियां को आज भी इस बाग में संजोकर रखा गया है. बात करें इस बाग के इतिहास की तो 13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक शांतिपूर्ण सभा बुलाई गई थी. जो रॉलेट एक्ट के विरोध में थी. जलियांवाला बाग से निकलने का सिर्फ एक रास्ता था. जनरल डायर ने उसे रास्ते को ब्लॉक (block) करते हुए हजारों की भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दे दिया. जिन गोलियों के निशान आज भी यहां की दीवारों में देखे जा सकते हैं. आज के समय में इस बाग को एक स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. जहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते हैं और भारत के इतिहास को जानने और समझने का प्रयास करते है.

Exit mobile version