पंकज पाठक , रांची : महज 54 साल की उम्र में अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया. भले ही वह हमें छोड़कर चले गये, लेकिन फिल्मी दुनिया के आसमान पर हमेशा यह सितारा चमचमाता रहेगा. उन्होंने हॉलीवुड में भी कई शानदार किरदार निभाये, जो हमेशा याद रखें जायेंगे. इस छोटे लेकिन अद्भुत सफर में झारखंड के गुरु का ज्ञान भी इरफान खान के साथ चलता रहा. इरफान को गुरु भाई कहकर संबोधित करने वाले नंदलाल जब भी मिलते थे तो इरफान हमेशा पूछते थे, हमें कब कास्ट कर रहे हो.
इरफान का झारखंडी संस्कृति और लोकगीत से परिचयझारखंड लोक संगीत की पहचान माने जाने वाले पद्मश्री मुकुंद नायक 1985 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गये थे. यहीं पहली बार इरफान खान से उनकी मुलाकात हुई थी़ यहीं मुकुंद नायक ने इरफान और अन्य छात्रों का परिचय झारखंडी संस्कृति, लोकगायिकी और लाठी के खेल से कराया था. नंदलाल नायक इरफान को इसी रिश्ते से हमेशा गुरु भाई बुलाते थे.किसके निमंत्रण पर हुआ था परिचयउन दिनों को याद करते हुए मुकुंद नायक बताते हैं : उस वक्त एनएसडी के डायरेक्टर डॉ. सुरेश अवस्थी के बुलावे पर गया था. डॉ अवस्थी साल 1985 में फेस्टिवल ऑफ छोटानागपुर के आयोजन में शामिल होने के लिए जमशेदपुर आये थे.
यहां मुलाकात हुई. उन्होंने हमें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा आकर बच्चों को भी लोक संस्कृति का ज्ञान देने का आग्रह किया. गीत से प्रभावित हुए थे इरफान मुकुंद नायक बताते हैं कि हमें वह गीत आज भी याद है, जो हमने गाया था. बोल थे, अंबा मंजरे मधु मातलें रे, तइसने पिया मातल जाए… इस गाने को सुनकर इरफान ने पूछा था कि इसे किसने लिखा है? इस गाने और इसकी धुन से बहुत प्रभावित हुए थे. यहां की संस्कृति और परंपरा वहां लोगों को पसंद आयी. साल 1992 में एनएसडी का वर्कशॉप नेतरहाट में हुआ. एक महीने तक कलाकारों की टोली यहां रही थी. यहीं पर शकुंतला का मंचन हुआ, जिसमें हमने गीत लिखा और पूरा नाटक गीतों के जरिये ही हुआ इरफान के साथी विपिन से यहीं हमारी दोबारा मुलाकात हुई. शकुंतला के मंचन की खूब चर्चा हुई और आज भी एनएसडी में इसे संग्रहित रखा गया है.
हमेशा पूछते थे कब कास्ट करोगे मुझेमुंकुद नायक के बेटे नंदलाल नायक जब भी इरफान से मिलते थे, उन्हें गुरु भाई कहकर संबोधित करते थे. नंदलाल कहते हैं बाबूजी की वजह से मैं उन्हें गुरु भाई कहकर ही संबोधित करता था. इरफान से हुई मुलाकातों को याद करते हुए नंदलाल कहते हैं, गुरुभाई जब भी मिलते, तो पूछते : हमें कब कास्ट कर रहे हो. स्टार ऑफ स्टार्स जब इस तरह बात करता था, तो ऊर्जा मिलती थी. जब इरफान ने फोन कर पूछा था, पान सिंह तोमर देखीपरवेज कुरैशी साल 2007-08 में मैं प्रभात खबर में रंग पेज के लिए काम करता था. अचानक कहीं से मुझे इरफान खान का फोन नंबर मिला, मैंने भी सोचा नहीं और कॉल कर दिया. उनके भाई फिरोज फोन उठाते थे फिर धीरे- धीरे इरफान से भी बात होने लगी.
मैं उन्हें टेलीफोन बूथ से फोन किया करता था. एक दिन इसी बूथ पर इरफान भाई ने कॉल किया़ दुकानदार ने फोन उठाया उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि कोई गली का इरफान नहीं अभिनेता इरफान खान बात कर रहे हैं. उसने मुझे बाद में बताया कि किसी इरफान का फोन आया था. इसी बीच बेहतरीन कलाकार निर्मल पांडे का निधन हुआ. इस पर मैंने एनएसडी के डायरेक्टर अनुराधा कपूर और इरफान खान से बातचीत की और रिपोर्ट बनायी. इरफान से अंतिम बात हुई फिल्म पान सिंह तोमर की रिलीज के वक्त उन्होंने खुद फोन कर पूछा, पान सिंह तोमर कैसा लगा भाई.
मैंने अबतक फिल्म नहीं देखी थी लेकिन जानता था उनकी निभायी भूमिका शानदार होगी. कह दिया, भाई अभी तुरंत देख कर निकल रहा हूं बहुत अच्छा लगा. बाद में मैंने फिल्म देखी, मैंने गलत नहीं कहा था. मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जाना चाहता था. एक बार मैसेज के जवाब में उन्होंने कहा था, मेहनत करो फल जरूर मिलेगा. उनकी तबीतय खराब होने के बाद मैं उनके पीएस सनी शाह से लगातार बातचीत करता रहा. साल 2019 में उनकी पत्नी सूतापा सीकदार से फोन पर बातचीत हुई थी. उन्होंने कहा था, अभी ठीक है बहुत जल्द हम लोग वापस हिंदुस्तान लौटेंगे.