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Irrfan Khan Death : सहज, संघर्ष और सीखने के हुनर से बनते हैं ‘इरफान’

मुझे याद है कि शूटिंग के दौरान कलाकारों के लिए एक विश्राम का कमरा हुआ करता था, मैं और इरफान उसी कमरे में विश्राम करते थे. उन्हें सिगरेट पीने की आदत थी और मैं दमे का बीमार. एक बार मैंने उन्हें टोक दिया. वह बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति थे. उसके बाद कभी भी उन्होंने उस कमरे में सिगरेट नहीं पी.

वरिष्ठ साहित्कार व फिल्म लेखकइरफान खान की पहली फिल्म थी ‘दृष्टि’. इस फिल्म के निर्देशक थे गोविंद निहलानी, नायिका थी डिंपल कपाड़िया. उनकी दूसरी फिल्म थी ‘ पुरुष ‘. 1994 में राजन कोठारी की फिल्म में इरफान बतौर नायक पर्दे पर उतरे थे. इस फिल्म की स्क्रिप्ट और संवाद पर मैंने काम किया. मुझे याद है कि शूटिंग के दौरान कलाकारों के लिए एक विश्राम का कमरा हुआ करता था, मैं और इरफान उसी कमरे में विश्राम करते थे. उन्हें सिगरेट पीने की आदत थी और मैं दमे का बीमार. एक बार मैंने उन्हें टोक दिया. वह बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति थे. उसके बाद कभी भी उन्होंने उस कमरे में सिगरेट नहीं पी.

इरफान के पास एक बाइक हुआ करती थी. वे उसी मोटरसाइकिल से राजन कोठारी के घर आया करते थे और वहां से मुझे लेकर कहीं दूसरी जगह एकांत में पहुंच जाते थे. वहां जाने के बाद वे फिल्म में अपने चरित्र को लेकर कई सवाल करते थे. वे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कटिबद्ध रहते थे. उस फिल्म में उन्होंने यह प्रमाणित भी किया. इरफान के जाने से एक बड़ा शून्य उभर कर सामने आया है. उनकी जैसी सहज अभिव्यक्ति आज के दौर में केवल मनोज वाजपेयी में देखने को मिलती है. वे सहज थे. उनमें सीखने की प्रवृत्ति थी. वे हर वक्त, हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखना चाहते थे.

1988 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के बाद कई टीवी सीरियल में काम किया, 1990 से लेकर 2020 तक उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया. इरफान ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया. उनके संघर्षों ने ही उन्हें तराशा. सदियों में एक ‘इरफान’ आते हैं. स्वभाव में सहजता, संघर्ष करते रहने की क्षमता और सीखते रहने के हुनर से ही ‘इरफान ‘ तैयार होते हैं.

मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं, ईश्वर उन्हें हौसला दे.इरफान ने दिया पूरी दुनिया को संदेश (बॉक्स)गया स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में बतौर आर्टिस्ट ध्रुव कुमार ने पेंटिंग बना कर दिवंगत अभिनेता इरफान खान को श्रद्धांजलि दी है. ध्रुव ने कहा कि इरफान केवल अभिनेता नहीं थे. वे स्वयं में एक संस्था थे. उनकी अदाकारी के अलावा उनका सरल स्वभाव तमाम कलाकारों के लिए प्रेरणा है. तमाम संघर्षों के बीच उम्मीद को जिंदा रखने व चेहरे पर मुस्कान बनाये रखने का संदेश इरफान ने इस पूरी दुनिया को दिया है.

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