हरियाणा से दरभंगा पिता को साइकिल पर लाने वाली बिहार की बेटी की फैन हुईं इवांका ट्रंप
लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंचने वाली बेटी इस समय सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. बिहार की इस बेटी ज्योति की फैन अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रंप भी हो गयी है
दरभंगा : लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंचने वाली बेटी इस समय सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. पूरे देश के अलावा विदेशों में भी लोग उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं. बिहार की इस बेटी ज्योति की फैन अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रंप भी हो गयी है.
अमेरिक के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भारत में पारिवारिक प्रेम की एक झलक पाकर काफी खुश हैं. उन्होंने ट्विटर पर उस लड़की की कहानी शेयर की है, जो गुरुग्राम में फंसे अपने पिता को साइकिल से दरभंगा ले गयी.इवांका ने ट्वीट कर कहा कि ’15 साल की ज्योति कुमारी अपने घायल पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गयी. इवांका ने आगे लिखा कि यह भारतीयों की सहनशीलता और उनके अगाध प्रेम के भावना का परिचायक है और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
15 yr old Jyoti Kumari, carried her wounded father to their home village on the back of her bicycle covering +1,200 km over 7 days.
This beautiful feat of endurance & love has captured the imagination of the Indian people and the cycling federation!🇮🇳 https://t.co/uOgXkHzBPz
— Ivanka Trump (@IvankaTrump) May 22, 2020
दरअसल, देशभर में जारी लॉकडाउन में अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मजदूर फंस गये हैं. हजारों मजदूर पैदल ही अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े. इन्हीं मजदूरों में दरभंगा की ज्योति के पिता मोहन पासवान भी शामिल हैं.बता दें कि दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे. हालांकि वे दुर्घटना के शिकार हो गये. सूचना मिलने के बाद अपने पिता की देखभाल के लिये 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गयी थी. इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गयी. आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति ने साइकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी. ज्योति अपने पिता को इस पुरानी साइकिल के कैरियर पर एक बैग लिये बिठाया और 8 दिनों की लंबी और कष्टदायी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंच गयी. पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा अपने घर पहुंची तो आस-पड़ोस के लोग दंग रह गए थे.