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आईवीआरआई के वैज्ञानिक डॉ.केपी सिंह बोले, जल्द बाजार में आएगा लंपी वायरस का टीका, जानें बीमारी के बारे में…

जल्द ही लंपी वायरस का टीका बाजार में मिलेगा. यह बनकर लगभग तैयार हो चुका है.लंपी बीमारी की जानकारी वर्ष 2019 में हुई थी. इसके बाद से ही बीमारी की रोकथाम को लेकर कोशिश चल रही हैं.

By अनुज शर्मा | July 3, 2023 6:46 PM

बरेली : भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में लंबी वायरस का टीका बनाने का काम का काफी तेजी से चल रहा है. संयुक्त निदेशक (कैडराड) एवं पशु वैज्ञानिक डा.केपी सिंह ने सोमवार को लंबी वायरस के बारे में जानकारी दी.बोले, जल्द ही लंपी वायरस का टीका बाजार में मिलेगा. यह बनकर लगभग तैयार हो चुका है.लंपी बीमारी की जानकारी वर्ष 2019 में हुई थी.इसके बाद से ही बीमारी की रोकथाम को लेकर कोशिश चल रही हैं. यह बीमारी सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, राजस्थान,पंजाब,मध्य प्रदेश, और उत्तर भारत के राज्यों के पशुओं में होती है. पशु वैज्ञानिक डा.केपी सिंह ने बताया कि देशभर में इस वायरस से 60 हजार से अधिक गायों की मौत हो चुकी है.इसके साथ ही पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है.इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है.

जानें बीमारी का कारण

यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है.गोवंशीय, एंव महिषवंशीय पशुओं में पाई जाती है.इस रोग का संचरण,फैलाव,प्रसार पशुओ में मक्खी,चिचडी एंव मच्छरों के काटने से होता है.इस बीमारी से संक्रमित पशुओ में हल्का बुखार हो जाता है.पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल,गांठे उभर आती है.इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत है.


कैडराड ने पता लगाई बीमारी

आईवीआरआई के पशुजन स्वास्थ्य विभाग में डीएसटी एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला (कार्यशाला) विशेष रूप से जूनोटिक रोगों में तेजी, निदान,परख विषय पर शुरू की गई है. इसमें 20 परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट), और डाक्टरेट डिग्री के स्टूडेंट शामिल हुए.यह देश के 12 राज्यों में पशु चिकित्सा के 13 महाविद्यालयों से आएं हैं.इस दौरान ई-मैनुवल का विमोचन भी किया गया.डॉ.केपी सिंह ने कैडराड के बारे में भी बताया.बोले, कैडराड ऐसा सेंटर है, जो देश में उभरती हुई बीमारियों पर निगरानी रखता है. कैडराड ने पशुओं की बीमारी ‘लम्पी’ का 2019 में पता लगाया था.डा.सिंह ने छात्रों से कार्यशाला में सक्रिय भाग लेने, और सीखने का आग्रह किया.पशुजन स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष डा. किरन भीलेगांवकर ने बुनियादी आणविक और सीरोलॉजिकल से शुरू होने वाली नैदानिक तकनीकों पर व्यावहारिक जानकारी दी.पीसीआर और बायोसेंसर सहित उन्नत तक पीसीआर,एलिसा जैसी तकनीकों के बारे में भी बताया.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद

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