Jagannath Rath Yatra 2022:जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, 12 जुलाई तक का शेड्यूल नोट कर लें, जानें महत्व
Jagannath Rath Yatra 2022:रथ यात्रा (Rath Yatra) के दौरान 3 सजे-धजे रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. रथ यात्र में सबसे आगे बलराम जी का रथ रहता है. उसके पीछे बहन सुभद्रा और फिर भगवान जगन्नाथ जी का रथ रहता है.
Jagannath Rath Yatra 2022: जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2022) आज यानी 1 जुलाई, 2022 से शुरू हो कर 12 जुलाई को तक चलेगी. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वीतिया तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं. वहां सात दिनों तक विश्राम के बाद फिर से अपने धाम जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri) वापस लौटते हैं. रथ यात्रा (Rath Yatra) के दौरान 3 सजे-धजे रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. रथ यात्र में सबसे आगे बलराम जी का रथ रहता है. उसके पीछे बहन सुभद्रा और फिर भगवान जगन्नाथ जी का रथ रहता है. जानें इस बार का रथ यात्रा का पूरा शेड्यूल और इसके जुड़ी प्रमुख बातें.
1 जुलाई से 12 जुलाई तक रथ यात्रा 2022 का शेड्यूल (Rath Yatra 2022 Schedule)
रथ यात्रा की शुरुआत- 01 जुलाई, 2022 शुक्रवार.
हेरा पंचमी- 05 जुलाई, मंगलवार- (इस दौरान यात्रा के पहले 5 दिन गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं.)
संध्या दर्शन- 08 जुलाई, शुक्रवार (ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान के दर्शन करने मात्र से 10 साल तक भगवान विष्णु की पूजा करने के समान फल मिलता है.)
बहुदा यात्रा- 09 जुलाई, शनिवार- (इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलभद्र मौसी के घर से वापस अपने मंदिर वापस लौटते हैं.)
सुनाबेसा-10 जुलाई, रविवार (मंदिर लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेंगे.)
आधर पना- 11 जुलाई- सोमवार (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन रथों पर विशेष प्रकार के पेय अर्पित किये जाते हैं. इसे पना कहा जाता है.)
नीलाद्री बीजे- 12 जुलाई, मंगलवार- (नीलाद्री बीजे भगवान जगन्नाथ यात्रा का अत्यंत दिलचस्प अनुष्ठान होता है. इसके बाद रथ यात्रा समाप्त होती है.)
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रथ यात्रा के दिन ही बहन सुभद्रा को शहर भ्रमण कराने निकले थे भगवान जगन्नाथ
रथ यात्रा के रूप में भक्त उस दिन का जश्न मनाते हैं जब भगवान कृष्ण, बलराम के साथ, उनकी बहन सुभद्रा को रथ में शहर की शान और वैभव दिखाने के लिए ले गए थे. पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी. तब जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े. इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा मंदिर भी गए और वहां नौ दिन तक ठहरे. ऐसी मान्यता है कि तभी से यहां पर रथयात्रा निकालने की परंपरा है. इस रथ यात्रा को लेकर कई मान्यताएं है. इस रथ यात्रा के बारे में स्कन्द पुराण ,नारद पुराण में भी विस्तार से बताया गया है.