Photos: वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ प्रभु जगन्नाथ का नेत्र उत्सव, 20 जून को रथ यात्रा
सरायकेला-खरसावां क्षेत्र में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन का नेत्र उत्सव हुआ. 14 दिनों के बाद मंदिरों के कपाट खुलने से श्रद्धालुओं को महाप्रभु के दर्शन हुए. नेत्र उत्सव के दौरान नव यौवन रूप के दर्शन की रश्म निभाई गयी.
सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् मधुसुदनम, मंगलम् पुंडरी काख्य, मंगलम् गरुड़ ध्वज, माधव माधव बाजे, माधव माधव हरि, स्मरंती साधव नित्यम, शकल कार्य शुमाधवम् … जैसे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सोमवार को सरायकेला व खरसावां के जगन्नाथ मंदिरों में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन का नेत्र उत्सव संपन्न हुआ. सोमवार को 14 दिनों के बाद सभी जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुले. सरायकेला, खरसावां, हरिभंजा समेत अन्य जगन्नाथ मंदिरों में इस वर्ष नेत्र उत्सव के दौरान नव यौवन रूप के दर्शन की रश्म निभाई गयी. इस दौरान भक्तों की भीड़ भी देखी गयी. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा मंगलवार को रथ पर सवार हो कर मौसी के घर जायेंगे. इसे श्री गुंडिचा यात्रा कहा जाता है. रथ यात्रा को लेकर रथ निर्माण समेत सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. रथ यात्रा के दौरान प्रभु के रथ को खींचने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमडेगी.
हरिभंजा में शंखध्वनी व पारंपरिक उलध्वनी के साथ हुई चतुर्था मूर्ति का नेत्र उत्सवखरसावां के हरिभंजा स्थित जगन्नाथ मंदिर में सोमवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन का नेत्र उत्सव किया गया. बीमारी के कारण 14 दिनों तक मंदिर के अणसर गृह में इलाजरत चतुर्था मूर्ति ( प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन) स्वस्थ्य होकर भक्तों को नये कलेवर में दर्शन दिये. इसे प्रभु के नव यौवन रूप कहा जाता है. मौके पर पुरोहित पंडित प्रदीप कुमार दाश ने पूजा अर्चना की, जबकि यजमान के रूप में जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव मौजूद रहे. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि एवं पारंपरिक उलध्वनि (हुलहुली) के बीच चतुर्था मूर्ति के अलौकिक नव यौवन रूप के दर्शन भी हुए. इस दौरान भंडारे का आयोजन कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. मालूम हो कि चार जून को स्नान पूर्णिमा के दिन 108 कलश पानी से स्नान करने के कारण चतुर्था मूर्ति बीमार हो गये थे. 14 दिनों तक अणसर गृह में प्रभु की गुप्त सेवा की गयी. देसी नुस्खा पर आधारित जुड़ी-बूटी से तैयार दवा पिला कर इलाज किया गया. इस दौरान संजय सिंहदेव, राजेश सिंहदेव, पृथ्वराज सिंहदेव आदि मौजूद रहे.
वहीं, खरसावां के राजवाड़ी स्थित जगन्नाथ मंदिर में सोमवार को पूरे विधि विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ का नेत्र उत्सव किया गया. मौके पर राज पुरोहित अंबुजाख्य आचार्य, गुरु विमला षड़ंगी और मंदिर के पुजारी राजाराम सतपथि ने पूजा अर्चना की. इस दौरान तीनों ही मूर्तियों को नये वस्त्र पहनाये गये. पूजा के साथ साथ हवन किया गया तथा चतुर्था मूर्ति को मिष्ठान्न एवं अन्न भोग चढ़ाया गया. इस मौके पर राजमाता विजया देवी, राजा गोपाल नारायण सिंहदेव, रानी अपराजीता सिंहदेव, जीवराज सिंहदेव, राकेश दाश, गोवर्धन राउत आदि मौजूद रहे. नेत्र उत्सव पूजा श्रद्धा व उल्लास के साथ संपन्न हो गया.
सरायकेला में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का हुआ भव्य श्रृंगारदूसरी ओर, सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में सोमवार को उत्कलिय परंपरा के अनुसार प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव किया गया. इस दौरान पुजारियों ने सभी धार्मिक रश्मों को निभाया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा को अणसर गृह से मंदिर मंदिर के रत्न सिंहासन में लाकर बैठाया गया. इसके बाद तीनों ही प्रतिमाओं का भव्य श्रृंगार किया गया. नेत्र उत्सव पर भाई-बहन के साथ प्रभु जगन्नाथ के नव यौवन रूप के दर्शन हुए. मौके पर भंडारे का आयोजन कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों का समागम बना रहा. इस दौरान मुख्य रूप से पूजारी ब्रम्हानंद महापात्र, राजा सिंहदेव, राजेश मिश्रा, बादल दुबे, सुदीप पटनायक, सुशांत मोहंती, लिपु मोहंती, सुमित महापात्र, कोल्हू महापात्र, शंकर सतपथी आदि उपस्थित थे.