सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश/हिमांशु गोप : सरायकेला जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर चांडिल में आषाढ़ शुक्ल द्वितीय के दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा निकलेगी. चांडिल में तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा सवार होकर गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. चांडिल स्थित श्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा संन्यासी आश्रम से स्टेशन रोड़ स्थित गुंडिचा मंदिर तक प्रभु की रथ यात्रा निकलेगी. चांडिल में आयोजित होने वाले रथ यात्रा की सबसे खास बात है कि यहां नागा संन्यासियों के नेतृत्व में रथ यात्रा का आयोजन होता है.
1980 से तीन अलग-अलग रथों पर रथयात्रा निकालने की परंपरा
वैसे तो चांडिल स्थित श्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम से निकाले जाने वाला रथ यात्रा अंग्रेजी शासन के समय शुरू हुआ था. उस समय एक ही रथ निकलती थी. वर्ष 1980 से जगन्नाथ पुरी (ओडिशा) की तर्ज पर मठ के ब्रह्मलीन महंत परमानंद सरस्वती (मठिया बाबा) ने तीन अलग-अलग रथों पर प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ यात्रा निकालने की परंपरा शुरू की. इसके पूर्व एक ही रथ पर सवार होकर महाप्रभु अपने बड़े भाई और बहन के साथ मौसीबाड़ी जाते थे. वर्तमानमें जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती के दिशा निर्देशन में यहां भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. अब जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती ने यहां की रथ यात्रा को नया मुकाम देने का काम किया.
20 जून को निकलेगी प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा
यहां 20 जून को होने वाली रथ यात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही है. 20 जून को सबसे पहले तालध्वज नामक रथ पर भगवान बलभद्र (बलराम), बीच में देवदलन नामक रथ पर बहन सुभद्रा और सबसे पिछे नंदीघोष रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. चांडिल की रथा यात्रा पूरे क्षेत्र में विख्यात है. रथ यात्रा में शामिल होने यहां दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं.
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18 जून को नेत्र उत्सव पर भक्तों को देंगे दर्शन
प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव 18 जून को होगी. इस दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा भक्तों को नव यौवन रूप में दर्शन देंगे. धार्मिक परंपरा के अनुसार, चार जून को देवस्नान पूर्णिमा पर स्नान यात्रा के बाद अब महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा बीमार हो गए हैं. उन्हें निरोग करने के लिए 14 दिन के एकांतवास में रखा गया है तथा उनका जड़ी-बूटी से इलाज शुरू हो गया है. चांडिल स्थित श्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा संन्यासी आश्रम में रथ यात्रा को लेकर सभी परंपराओं का निर्वाहन किया जा रहा है.
रथयात्रा की तैयारिया जोरों पर
चांडिल स्थित श्रीसाधु बाध मठिया नागा संनयासी आश्रम में रथ यात्रा को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है. रथों को मरम्मत करने के साथ रंग-रोगन का काम जोर-शोर से चल रहा है. रथा यात्रा के दौरान अस्था की ड़ोर खींचने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. आम से लेकर खास लोग यहां प्रभु जगन्नाथ के रख को खींच कर जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाते हैं.
इस वर्ष रथ यात्रा में क्यों होगा खास
इस वर्ष खासकर तीनों ही रथ के आगे हरिनाम संकीर्तन मंडली द्वारा हरिनाम संकीर्तन करते हुए रथ को मठ से मौसी बाड़ी तक पहुंचाया जाएगा. इसके साथ ही इस बार विशेष रूप से धार्मिक नगरी काशी के पुरोहितों द्वारा पूजा अर्चना किया जाएगा. रथ यात्रा के दौरान अटका प्रसाद के साथ अन्न भोग का वितरण किया जायेगा.
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चांडिल अनुमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में निकलती है रथयात्रा
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के चांडिल साधुबांध मठिया के अलावे चौका के बड़ामटांड़, मिरुडीह, नीमडीह के रघुनाथपुर से दुमदुमी तक हर्षोल्लास के साथ ग्रामीण क्षेत्र में रथ यात्रा निकाली जाती है. यहां भी भक्तों का जमावड़ा लगता है.
सैकड़ों साल पुराना है रथ यात्रा का आयोजन : महंत विद्यानंद सरस्वती
इस संबंध में जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत विद्यानंद सरस्वती ने कहा कि चांडिल में प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा का आयोजन सैकड़ों साल पुरानी है. पिछले करीब पांच दशकों से यहां काफी भव्य तरीके से प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है. प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र बहन सुभद्रा तीन अलग अलग रथों पर सवार हो कर चांडिल स्थित श्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा संन्यासी आश्रम से स्टेशन रोड़ स्थित गुंडिचा मंदिर तक पहुंचेंगे. इस इस दौरान भक्तों का समागम भी होगा.
20 जून को निकाली जाएगी प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा : महंत इंद्रानंद सरस्वती
वहीं, श्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा संन्यासी आश्रम के महंत इंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि 20 जून को श्रद्धा एवं उत्साह के साथ प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. 18 जून को प्रभु जगन्नाथ जी का नेत्र उत्सव होगा. मौके पर भंडारे का भी आयोजन होगा. चांडिल की ऐतिहासिक रथ यात्रा में सभी रश्मों को निभाया जाता है. रथ यात्रा के दौरान झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. वर्षो से चली आ रही परंपरा को जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती ने नया मुकाम दिया है.