”यहां से जाने के बाद वह ठीक ही थे. रिकवर भी कर रहें थे. लेकिन उस रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी.” ये शब्द थे शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के छोटे बेटे अखिलेश महतो के, जो पिता के पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से लेने पहुंचे थे. शिक्षा मंत्री के पार्थिव शरीर को शुक्रवार रांची एयरपोर्ट लेकर आया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद एयरपोर्ट से कॉफिन को कंधा देकर एम्बुलेंस में रखा. एयरपोर्ट अक्सर जो लोगों के मिलन और जुदाई का गवाह बनता आया है, इस बार भी एयरपोर्ट उसी भूमिका में था. पिता के शव को लेने पहुंचा शिक्षा मंत्री का छोटा बेटा बादल पत्रलेख और महुआ मांझी को अभिभावक के तौर वहां मौजूद देख रोने लगा.
बॉडी ऑर्गन ने बंद कर दिया था धीरे-धीरे काम करना
मीडिया ने ऑन कैमरा जानने का प्रयास तो किया क आखिर पूरे इस वक्त में तबियत कैसे बिगड़ी लेकिन नम आंखे कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थी. जो कुछ टूटे-फूटे शब्द उस समय निकल सके वह थे, यहां से जाने के बाद वह ठीक ही थे. रिकवर भी कर रहें थे. लेकिन उस रात अचानक उनकी तबियत बिगड़ने लगी. बॉडी ऑर्गन ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया. सुबह होते होते डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए. यह कहते ही अखिलेश की आंखें एक बार फिर भर आई. मीडिया के द्वारा पिता की स्थिति पर और सवाल करने पर अखिलेश ने हाथ जोड़ लिए. वह कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं थे.
शिक्षा मंत्री के पैतृक गांव फुसरो पहुंचा पार्थिव शरीर
एयरपोर्ट से विधानसभा जाने के दौरान अखिलेश पिता के साथ ही एम्बुलेंस में आए. परिसर में पूरे समय खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अखिलेश के साथ खड़े रहें. इस दौरान मुख्यमंत्री ने भी मीडिया कोई बातचीत नहीं की. लेकिन ट्विटर पर कुछ तस्वीरों के माध्यम से अपनी बात जरूर रखी. शिक्षा मंत्री के पार्थिव शरीर को विधानसभा परिसर से झामुमो कार्यालय लाया गया. वहां, पार्टी कार्यकर्ताओं ने शिक्षा मंत्री के अंतिम दर्शन किए. जिसके बाद एम्बुलेंस शिक्षा मंत्री के पैतृक फुसरो पहुंच गया है. फुसरो पहुंच ही लोगों की हुजूम उमड़ पड़ी है. लोग एक-एक कर नम आंखों से जगरनाथ महतो को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.