कोलकाताः चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट पर तकरार के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ अचानक दिल्ली रवाना हो गये हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल शनिवार (17 जुलाई) की सुबह-सुबह अचानक दिल्ली रवाना हो गये. उम्मीद जतायी जा रही है कि चुनावी हिंसा पर एनएचआरसी की रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्री से चर्चा के लिए वह दिल्ली गये हैं.
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाइकोर्ट को एनएचआरसी की जांच समिति ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कुछ मामलों की जांच के लिए एनएचआरसी ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसआईटी) बनाने की सलाह दी है. साथ ही हिंसा के इन मामलों की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है.
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल में कानून का शासन नहीं है, बल्कि यहां शासक का कानून चलता है. इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं और मंत्रियों को कुख्यात अपराधियों की सूची में रखा गया है. इस रिपोर्ट से ममता बनर्जी की पार्टी के कुछ नेता बेहद परेशान हैं. तृणमूल कांग्रेस ने मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ हाइकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है.
‘कुख्यात अपराधियों की सूची’ में अपना नाम आने से वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक बेहद परेशान हैं. मंत्री ने कहा है कि इस रिपोर्ट के खिलाफ वह कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. तृणमूल के कई विधायकों ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की छवि धूमिल करने के लिए जान-बूझकर ऐसी रिपोर्ट तैयार की गयी है.
उत्तर 24 परगना के हाबरा से तीसरी बार विधायक चुने गये ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा कि आरोपों से मैं बहुत व्यथित हूं. मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की बात छोड़िए, अगर पश्चिम बंगाल के किसी थाने में कोई मेरे खिलाफ सामान्य डायरी प्रविष्टि की बात बता दे, तो मैं उसे पुरस्कार दूंगा. कानून के दायरे में कदम उठाया जायेगा और जरूरी हुआ, तो अदालत में मानहानि का मुकदमा किया जायेगा.
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कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर एनएचआरसी के अध्यक्ष की ओर से गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल में स्थिति ‘शासन के बजाय शासक’ के इशारे पर चल रहे कानून का द्योतक है. हाइकोर्ट के समक्ष 13 जुलाई को पेश रिपोर्ट में ‘हत्या व दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों’ की सीबीआई जांच की अनुशंसा की गयी है.
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को कुख्यात अपराधी बताया गया है. ऐसे नेताओं में वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक, कैनिंग-पूर्व से विधायक शौकत मोल्ला, नैहाटी के विधायक पार्थ भौमिक, दीनहाटा के पूर्व विधायक उदयन गुहा एवं नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट शेख सूफियान शामिल हैं.
नैहाटी के विधायक पार्थ भौमिक ने भी कहा है कि ‘उक्त सूची से प्रतिशोध की बू आ रही है.’ नैहाटी से तीसरी बार विधायक बने पार्थ भौमिक ने कहा, मेरे खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है. आयोग की ओर से यह तृणमूल की छवि खराब करने की सोची-समझी साजिश है.
पूर्व विधायक उदयन गुहा का भी आरोप है कि एनएचआरसी की टीम ने कूचबिहार के दीनहाटा में उन घरों का दौरा किया, जिनके सदस्यों ने उन पर हमले किये थे. लेकिन टीम उनके घर नहीं आयी, जबकि यह महज थोड़ी दूरी पर स्थित है.
ऐसे ही शेख सूफियान ने भी एनएचआरसी की जांच समिति पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने भाजपा व विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के कहने के मुताबिक काम किया है और उसी के आधार पर अपनी रिपोर्ट कलकत्ता हाइकोर्ट में सौंपी है.
Posted By: Mithilesh Jha