धनबाद में नगर आयुक्त-सह-जमाडा के प्रभारी एमडी सत्येंद्र कुमार को मंगलवार को जमाडा कर्मियों के आश्रितों ने छह घंटे (दिन भर) तक दफ्तर में बंधक बनाये रखा. शाम को कार्यालय से निकलते वक्त नगर आयुक्त के साथ दुर्व्यवहार किया गया. किसी तरह निकलकर नगर आयुक्त जब अपनी गाड़ी में बैठे, तो आश्रित गाड़ी के आगे लेट गये. आश्रितों को हटाने के दौरान निगमकर्मी व आश्रित आपस में उलझ गये. दोनों पक्षों में मारपीट होने लगी. लगभग 15 मिनट तक सड़क पर धक्का-मुक्की होती रही. पुलिस के बीच-बचाव करने के बाद मामला शांत हुआ. इस मामले को लेकर नगर निगम ने जमाडा कर्मियों के आश्रितों के खिलाफ सदर थाना में लिखित शिकायत की है.
नगर आयुक्त की फजीहत होता देखकर निगम के कर्मी भी उग्र हो गये. वो लोग आश्रितों के धरना स्थल पहुंचे और टेंट हटाने को कहा. इस बीच वहां तैनात पुलिस व निगमकर्मी के बीच नोक-झोंक भी हुई. इसके बाद सदर इंस्पेक्टर पहुंचे और निगम कर्मियों को शांत कराया.
मुख्य द्वार बंद रहने के कारण वैसे लोग जो टैक्स जमा करने आये थे, लौट गये. यही नहीं जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, जलापूर्ति के लिए पानी का कनेक्शन आदि काम भी ठप रहा. इससे लाखों रुपये का राजस्व प्रभावित हुआ.
वीडियो फुटेज के आधार पर नगर निगम ने ऑनलाइन एफआइआर कराया है. नगर आयुक्त ने कहा कि वीडियो फुटेज में स्पष्ट है कि आश्रितों के साथ कुछ असामाजिक तत्व भी थे. ऐसे असामाजिक तत्वों को पुलिस पकड़े और कार्रवाई करे.
नगर आयुक्त सह जमाडा के प्रभारी एमडी सतेंद्र कुमार ने कहा कि जमाडा में प्राधिकार कार्यरत नहीं है. जब भी नियोजन देगा, प्राधिकार देगा. एमडी के पास नियोजन देने की शक्ति नहीं है. जमाडा के आश्रितों की जो मांग है, उसे मुख्यालय भेज दिया गया है. नियोजन मामले में कई बार आश्रितों से वार्ता हो चुकी है. एक ही चीज के लिए बार-बार मिलना न्यायोचित नहीं है. आज धरना पर आश्रितों के साथ कुछ असामाजिक तत्व भी बैठे हुए थे. दफ्तर से निकलने के क्रम में जानलेवा हमला का प्रयास किया गया. वो निगम कर्मचारियों के सहयोग से सही सलामत घर गये. नगर निगम सभी विभागों को सहयोग करता है, लेकिन हमें सुरक्षा नहीं मिली. वीडियो फुटेज के आधार पर एफआइआर दर्ज कराया जा रहा है.
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इस बीच नगर निगम कार्यालय के सामने साढ़े छह घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला. सुबह 11: 30 बजे जमाडा के आश्रित जमाडा के प्रभारी एमडी से मिलने पहुंचे. वो लोग मुख्य द्वार पर बैठ गये, पर किसी को भी अंदर जाने नहीं दिया गया. इसके बाद उन लोगों ने किसी को अंदर घुसने नहीं दिया. निगम के कर्मियों ने दो बार कार्यालय में घुसने की कोशिश की, धक्का-मुक्की भी हुआ, लेकिन वो अंदर नहीं जा सके. आंदोलनकारियों का कहना था कि जब तक जमाडा एमडी आकर उन लोगों से वार्ता नहीं करेंगे, किसी तो अंदर जाने नहीं दिया जायेगा. इस बीच सदर पुलिस आयी, लेकिन वह भी चुपचाप रही. दोपहर तीन बजे निगमकर्मियों ने फिर कार्यालय में जाने की कोशिश की, पर फिर उन्हें जाने नहीं दिया गया. इस दौरान निगमकर्मियों व पुलिस के बीच नोक-झोंक भी हुई.
351 दिनों से जमाडा कर्मी के आश्रित नियोजन को लेकर मुख्य द्वार पर धरना दे रहे हैं. 22 फरवरी को धरना का एक साल पूरा हो जायेगा. जमाडा कर्मियों के आश्रितों ने कहा है कि जब तक नियोजन नहीं होगा, धरना जारी रहेगा. ऐसा नहीं होने पर वो 22 को शहर में जुलूस निकालेंगे और 28 फरवरी को आत्मदाह करेंगे.
पुलिस प्रशासन व अनुमंडलाधिकारी पर असहयोग का आरोप लगाते हुए िनगम कर्मियों ने बुधवार से सफाई के साथ सभी काम ठप रखने का निर्णय लिया है. निगम कर्मियों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन की ओर से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. साढ़े छह घंटे तक जमाडा कर्मी के आश्रित मुख्य द्वार बंद रखे थे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने नहीं हटाया. अनुमंडलाधिकारी को भी आश्रितों को हटाने के लिए लिखित देने के साथ साथ दूरभाष पर भी कहा गया लेकिन उनका भी सहयोग नहीं मिला. लिहाजा बुधवार से नगर निगम शहर की सफाई के साथ अन्य कार्य भी ठप रखेगा.