बंगाली समाज में रविवार को दामाद का दिन जमाई षष्ठी है. जमाई की मंगलकामना व सत्कार का पर्व है जमाई षष्ठी. इसकी तैयारी शहर के बंगाली समाज के लोगों ने पूरी की. जमाई षष्ठी को लेकर शनिवार को बाजार में भीड़ रही. बांग्ला संस्कृति में जमाई षष्ठी पर्व की एक अलग पहचान है. बंगाल सहित देश के उन सभी हिस्सों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां बांग्लाभाषी रहते हैं.
किशनगंज के ठाकुरगंज सहित आसपास के इलाके में भी जमाई षष्ठी पर्व को लेकर बंगाली समुदाय में विशेष उत्साह देखा गया. इस दिन को लेकर बंगाली घरों में जोर-शोर से तैयारियां की जाती रही है. घरों की साफ-सफाई के साथ-साथ तरह-तरह के पकवान बनाने बन रहे हैं. पर्व को लेकर शहर के बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ी रही. फलों और मछलियों की मांग बढ़ी. कीमतों में भी काफी चढ़ाव दिखा. जमाई षष्टि रविवार को मनायी जा रही है.
जमाई षष्ठी में भगवान षष्ठी की पूजा होती है. इसमें दामाद को भगवान का रूप दिया जाता है. ससुराल वाले दामाद के हाथ में रक्षासूत्र बांध उनकी लंबी आयु की कामना करते हैं. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बंगाली समुदाय में जमाई षष्ठी मनाई जाती है. इस पर्व के मद्देनजर बंगाली समुदाय की महिलाएं सुबह पीपल वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना कर जमाई के दीर्घायु होने की कामना करती हैं. यह समय गर्मी का है. ऐसे में जमाई को कोई परेशानी न हो, इसके लिए हाथ का पंखा हिलाकर मौसमी फल और तरह-तरह के पकवान खाने को दिये जाते हैं.
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जमाई षष्ठी में मछलियों की बड़ी मांग रहती है. जमाई राजा को ससुराल में हिलसा मछली खिलाये जाने की परंपरा है. रविवार को जमाई षष्ठी का पर्व है. कई दिनों से मछली की डिमांड काफी कम थी. अचानक जमाई षष्टि को लेकर इसकी मांग में बढ़ोतरी देखी गयी. हिलसा की खूब मांग है, जो पहले 800 रुपये किलो था आज 1200 रुपये किलो बिकी. इसके अलावा छोटी चिंगड़ी की भी बिक्री खूब हुई, जो शनिवार 400 रुपये किलो बिका. कतला, रोहू भी खूब बिकीं, जिनकी कीमत 300-400 रुपये तक हुई.
बंगाल की प्रसिद्ध मिष्टी दही और माछ भी इस दिन का प्रमुख भोजन होता है. किसी भी उम्र का दामाद क्यों न हो, ससुराल पक्ष नये वस्त्र और विभिन्न प्रकार के फल, मिठाइयां और माछ लेकर उनका स्वागत करते हैं. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य साथ में भोजन करते हैं. इस दिन का दामाद को साल भर इंतजार रहता है.
इस पर्व को लेकर दूर दराज के इलाके में रहने वाली बेटियों और जमाइयों का अपने ससुराल आना शुरू हो जाता है.समाज के लोग बताते हैं कि जमाई षष्ठी पर खातिरदारी की अलग खुशी होती है. मां और सास का आशीर्वाद सुखद अहसास देता है. उन्होंने बताया कि सास दामाद के स्वागत में उपवास पर रहती हैं. पांच तरह की मिठाई, फल और मछली के पकवान परोसती हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan