जमशेदपुर : बाहदा गांव में पसरा मातम, बेटे को सुरंग से सकुशल बाहर नहीं देख सके पिता
डुमरिया थाना प्रभारी संजीवन उरांव बुधवार को बहादा गांव पहुंचे. मजदूर भक्तू मुर्मू के शोकाकुल परिजनों से मिले. डुमरिया की बीडीओ चंचला कुमारी और थाना प्रभारी माणिकपुर गांव जाकर परिजनों से मिले और हाल जाना.
जमशेदपुर : डुमरिया प्रखंड के बाहदा गांव का बेटा भक्तू मुर्मू 17 दिनों तक उत्तरकाशी के सुरंग में फंसा था. मंगलवार की रात वह सुरक्षित बाहर निकला. बुधवार को उसके गांव में मातम पसरा था. बेटे के सुरंग में फंसे होने के सदमे में 70 वर्षीय पिता बरसा मुर्मू का देहांत हो गया. सुबह पिता का देहांत हो गया, वहीं रात में बेटे को नयी जिंदगी मिली. हृदय गति रुकने से पिता की मौत की बात कही जा रही है. बरसा की पत्नी पिती मुर्मू सदमे में है. उन्होंने बताया कि बरसा बेटे के लिए हमेशा चिंतित रहते थे. रात को ठीक से सोते नहीं थे. मंगलवार की सुबह नाश्ता के बाद लगभग 8 बजे खटिया पर दामाद के साथ बैठे थे. अचानक गिर गया और मौत हो गयी. भक्तू मुर्मू अभी उत्तराखंड के ऋषिकेश एम्स में है. उसका भाई राम राय मुर्मू चेन्नई में मजदूरी करता है. एक भाई मंगल मुर्मू घर में है. मंगल मुर्मू ने पिता का अंतिम संस्कार मंगलवार की शाम किया.
मजदूर के पिता की मौत की खबर पर पहुंची पुलिस
डुमरिया थाना प्रभारी संजीवन उरांव बुधवार को बहादा गांव पहुंचे. मजदूर भक्तू मुर्मू के शोकाकुल परिजनों से मिले. डुमरिया की बीडीओ चंचला कुमारी और थाना प्रभारी माणिकपुर गांव जाकर परिजनों से मिले और हाल जाना. बीडीओ और थाना प्रभारी ने परिजनों को बताया कि भक्तू मुर्मू सुरक्षित सुरंग से निकाल लिये गये हैं. जल्द घर लौटेगा. आपको बता दें उत्तराखंड में 12 नवंबर को हुए सुरंग हादसे में 41 मजदूर फंस गये थे. मजदूरों को 28 नवंबर को बाहर निकाला गया था.
क्या कहना है उप श्रमायुक्त ने
कोल्हान के उप श्रमायुक्त (डीएलसी) राजेश प्रसाद सभी 41 लोगों का इलाज एम्स हॉस्पिटल ऋषिकेश में चल रहा है. बुधवार को सभी की मेडिकल जांच हुई. गुरुवार को जांच रिपोर्ट आने के बाद सभी को अपने-अपने गंतव्य स्थल पर भेजा जायेगा.
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