Bihar News: दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा की वजह से विस्थापित हुआ था गांव, अब सरेंडर के बाद खुशी
जमुई में बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा के सरेंडर करने के बाद अब इलाके के लोगों में संतोष है. बालेश्वर कोड़ा एक दुर्दांत नक्सली था और उसने इस इलाके में आतंक मचा रखा था.
जमुई में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था. इस बीच सोमवार को दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने दो अन्य हार्डकोर नक्सली के साथ सरेंडर कर दिया. बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा के सरेंडर की खबर जंगल में लगी आग की तरह फैली. ये आम नक्सली नहीं थे बल्कि पूरे इलाके में इनका आतंक रहता था. बालेश्वर और अर्जुन के आतंक की फेहरिस्त काफी लंबी है.
दर्जनों परिवार ने गांव छोड़ने का फैसला लिया था
14 जुलाई 2017 को जिले बरहट थाना क्षेत्र के कुकुरझप डेम में नक्सली बालेश्वर कोड़ा-अर्जुन कोड़ा और उसके पूरे गिरोह ने एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी थी. जिसके उपरांत गुमराहा तथा कुमरतरी के दर्जनों परिवार ने गांव छोड़ने का फैसला कर लिया था. जिसके बाद इन्होंने 15 जुलाई को घर छोड़ दिया था और यह दो महीने तक विद्यालय में रहे. जिसके बाद इन्होंने पतनेश्वर पहाड़ी पर अपना डेरा बनाया था.
सीआरपीएफ का ऑपरेशन त्रिनेत्र
बताते चलें कि नक्सलियों द्वारा की गई उक्त हत्याओं के तार ऑपरेशन त्रिनेत्र से जुड़ा था. जिसमें यह बातें सामने आई थी कि उक्त तीनों लोगों की हत्या नक्सलियों ने प्रतिशोध की भावना में आकार किया था. बताते चलें कि बीते 18 जून 2017 को सीआरपीएफ की 131 बटालियन ने ऑपरेशन त्रिनेत्र चलाकर बरहट के जंगलों में पीएलजीए के सदस्य दो नक्सलियों को मार गिराया था. उक्त दोनों ही नक्सली सुकमा में घटना को अंजाम देकर बरहट के जंगलों में शरणागत थे.
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जंगल छोड़कर भागे लेकिन प्रतिशोध में लिया बदला
2 नक्सली की मौत के बाद नक्सली संगठन के सदस्य जंगल छोड़कर फरार तो हो गए थे. लेकिन लोगों में यह भय तब से ही पैदा हो गया था कि नक्सली जरूर प्रतिशोध की ज्वाला में आकर किसी घटना को अंजाम देंगे. जिसके प्रतिशोध में बीते 14 जुलाई को नक्सलियों ने कुमरतरी निवासी शिव कोड़ा, बजरंगी कोड़ा तथा मीना देवी पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए पत्थर से कुचकर बेरहमी से हत्या कर दी.
नक्सलियों के आत्मसमर्पण से खुशी
ऐसे नृशंस हत्या के बाद देखने वालों की रूह कांप उठी. घटना के बाद अब लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया था. और लोगों ने गांव छोड़ने का फैसला कर लिया था. जिसके बाद वर्तमान में वह सब कोड़ासी में रह रहे हैं. वहीं सभी नक्सलियों के आत्मसमर्पण के उपरांत उन विस्थापित लोगों में भी संतोष की स्थिति है.
Posted By: Thakur Shaktilochan
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