Janki Jayanti 2022: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता का जन्मदिन मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता सीता राजा जनक और रानी सुनयना को पुत्री के रूप में मिली थीं. इस साल जानकी जयंती 24 फरवरी को मनाई जा रही है. जानती जयंती के दिन ही माता सीता धरती पर प्रकट हुईं थी.
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 23 फरवरी को शाम 04 बजकर 56 मिनट पर
व्रत रखने का सही समय : 24 फरवरी 2022.
अष्टमी तिथि का समापन- 24 फरवरी को रात 03 बजकर 03 मिनट पर.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जानकी जयंती के दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती है. सुहागिन महिलाओं के लिए तो यह दिन बेहद खास होता है क्योंकि सीता अष्टमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती हैं और माता जानकी को श्रृंगार का सामान अर्पित करती हैं. इसके अलावा कुंवारी कन्याएं अगर इस दिन व्रत करें तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. साथ ही अगर किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो उसे भी यह व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से विवाह से जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. जानकी जयंती पर मंदिरों में भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा की जाती है.
जानकी जयंती के दिन सुबह सवेरे उठ जाना चाहिए. फिर नित्यकर्मों से निवृत्त हो स्नानादि कर लें और घर के मंदिर में दीप जलाएं. इनकी पूजा की शुरुआत गणेश जी और अंबिका जी से होती है. फिर माता सीता को पीले पुष्प, पीले कपड़े और श्रृंगार का सामना अर्पित करें. जब आप दीप जला दें को व्रत का संकल्प लें. इसके बाद घर के मंदिर में मौजूद सभी देवी-देवताओं को जल से स्नान करवाएं. स्नान वाले जल में गंगाजल मिलाएं और उसी से देवताओं को स्नान कराएं. इसके बाद माता सीता और प्रभु श्री राम का ध्यान करें. इसके बाद शाम के समय माता सीता की आरती करें. फिर व्रत खोलें. फिर माता सीता को भोग चढा़एं. प्रसाद को सभी घरवालों में बांट दें और फिर स्वयं ग्रहण करें.