Shri Krishna Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत आज है. आज मध्यरात कान्हा घर-घर में पधारेंगे. आज सुबह से ही भक्त जन्माष्टमी पर कान्हा के स्वागत के लिए तैयारी में जुटे हुए है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन ही रात के समय कंस के कारगर में देवकी की कोख से जन्म लिया था. इस दिन देशभर में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल की जन्माष्टमी काफी खास है, क्योंकि ऐसा सयोग करीब 30 सालों के बाद बन रहा है. आज 6 सितंबर दिन बुधवार को बहुत ही शुभ जयंती योग भी बन रहा है. इसके साथ ही आज कई और शुभ योग बन रहे है. इसलिए गृहस्थ लोगों के लिए आज 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रखना बहुत ही शुभ रहने वाला है. इसके अलावा वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे.
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थल और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को फूलों से सजाया गया है. बतादें कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तिथि को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, जो अब खत्म हो गया है. हालांकि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के अनुसार ही ब्रजवासी जन्माष्टमी का त्योहार मनाते रहे हैं. यहां जन्माष्टमी 7 सितंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख द्वारकाधीश मंदिर में भी जन्माष्टमी का पर्व सात सिंतबर को ही मनाया जाएगा. वहीं ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में भी 7 सितंबर को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आज बुधवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज मध्यरात घर-घर में कान्हा जन्म लेंगे. बुधवार की रात घर-घर लड्डू गोपाल जन्मेंगे और शंख, घंटे-घड़ियाल की ध्वनि से गुजायमान होगा. सभी मंदिर और घर-घर में इसकी तैयारी हो चुकी हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर ब्रज के कण-कण में उल्लास है. अपने गोपाल के जन्मोत्सव को मनाने के लिए हर कोई उत्साहित है. श्रीकृष्ण जन्मस्थली मथुरा, वृंदावन और द्वारकाधीश मंदिर में 7 सितंबर दिन गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कन्हैया का जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंच रहे हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है. यह एडवाइजरी बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन की ओर से की गई है. मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए छोटे बच्चों को नहीं लाने की अपील की गई है.
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मंदिर प्रबंधक मुनीष कुमार शर्मा की ओर से एडवाइजरी जारी कर बताया गया है कि 7 सितंबर को मंदिर के पट सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर खुलेंगे. इसके बाद 7 बजकर 55 मिनट पर श्रृंगार आरती होगी और 11.55 पर राजभोग आरती होगी. वहीं 12 बजे पट बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद शाम 5 बजकर 30 मिनट पर पट खुलेंगे. 9 बजकर 25 मिनट पर शयनभोग आरती होगी और 9 बजकर 30 मिनट पर पट बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद रात 12 बजे ठाकुरजी का अभिषेक होगा. अभिषेक पश्चात सात सिंतबर की रात 8 सितंबर को मंदिर 1 बजकर 45 मिनट पर खुलेगा और 1 बजकर 55 मिनट मंगला आरती होगी. 2 बजे छींटा देकर पर्दा बंद कर दिया जाएगा.
आज की तिथि
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भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त- शाम 3 बजकर 38 मिनट तक।
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अष्टमी तिथि प्रारंभ: 06 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर
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अष्टमी तिथि समापन: 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट तक
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रोहिणी नक्षत्र आरंभ- 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से शुरू
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रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक
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हर्षण योग- रात 10 बजकर 25 मिनट तक
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वज्र योग- रात 10 बजकर 25 मिनट तक से 7 सितंबर को रात 10 बजकर 1 मिनट तक
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निशिता पूजा समय – 06 सितंबर की रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 42 मिनट तक
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सर्वार्थसिद्धि योग – सुबह 9 बजकर 20 मिनट से 7 सितंबर को सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक
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त्रिपुष्कर योग –सूर्योदय से आज सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक
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अमृत काल – सुबह 6 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
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सूर्योदय – सुबह 6 बजकर 14 मिनट
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सूर्यास्त – शाम 6 बजकर 36 मिनट पर
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चंद्रोदय – 6 सितंबर को रात 11 बजकर 15 मिनट पर
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चन्द्रास्त – 6 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
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राहुकाल – दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 58 मिनट तक
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यम गण्ड – सुबह 7 बजकर 46 मिनट से 9 बजकर 19 मिनट तक
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कुलिक – सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक
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दुर्मुहूर्त – दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक
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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के समापन के बाद जन्माष्टमी व्रत का पारण करने का विधान है. वे देर रात 12 बजकर 42 मिनट के बाद पारण कर सकेंगे. वहीं जो लोग अगले दिन सुबह पारण करते हैं, वे 7 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट के बाद पारण कर सकते है. जिनके यहां अष्टमी तिथि के समापन पर पारण होता है, वे 7 सितंबर को शाम 04 बजकर 14 मिनट के बाद कर सकते है.
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कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन होता है.
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इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार करके व्रत का संकल्प लें.
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फिर मध्यान्ह के समय काले तिलों को जल में छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं.
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अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें.
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इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ माता देवकी जी की मूर्ति भी स्थापित करें.
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देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें.
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यह व्रत रात में बारह बजे के बाद ही खोला जाता है.
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इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता.
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फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवे का सेवन कर सकते हैं.
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हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे
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श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा
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ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
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ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय