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Jaya Ekadashi 2023: जया एकादशी  को पड़ रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें शुभ मुहूर्त और तिथि

Jaya Ekadashi 2023: जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है. इस साल जया एकादशी 1 फरवरी बुधवार को है. आज हम आपको जया एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताएंगे.

By Shaurya Punj | January 29, 2023 8:36 AM

Jaya Ekadashi 2023:  1 फरवरी 2023 को जया एकादशी पड़ रही है. पंचांग के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है. यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है. आज हम आपको जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2023) पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताएंगे.

Jaya Ekadashi 2023 मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2023 Muhurta)

ज्योतिष शास्त्र और पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी पड़ती है. इसे भूमि एकादशी भी कहते हैं. एकादशी तिथि 31 जनवरी 2023 को 11 बजकर 53 बजे से शुरू होकर 1 फरवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी 2023 को रखा जाएगा.

जया एकादशी पूजा का फल

जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है.

जया एकादशी 2023 सर्वार्थ सिद्धि योग (Jaya Ekadashi 2023 Sarvartha Siddhi Yoga)
जया एकादशी के दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस दिन 1 फरवरी को जया एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 11 मिनट से 2 फरवरी को रात 3 बजकर 22 मिनट तक होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है.

जया एकादशी पूजन विधि

जया एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद मंदिर का स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है. विधि-विधान के साथ पूजन करने के बाद व्रत कथा पढ़ें और आरती करें. कहते हैं कि बिना कथा और आरती के कोई भी व्रत या उपवास अधूरा माना जाता है. ध्यान रखें कि एकादशी के दिन व्रत करते समय जातक को केवल फलाहार ही ग्रहण करना चाहिए. यहां तक कि रात्रि के समय भी अन्न ग्रहण नहीं किया जाता, बल्कि अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद ही अन्न ग्रहण किया जाता है.

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