झारखंड के बंधक बने 43 प्रवासी मजदूरों को पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से झालसा ने मुक्त कराया
लोहरदगा डालसा को लिखित जानकारी ग्रामीण विकास श्रमिक समिति लिमिटेड के उदय प्रताप सिंह ने 20 जुलाई 2023 को दी थी. इसकी जानकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार लोहरदगा राजेंद्र बहादुर पाल को देते हुए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) रांची को भी दी गयी.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार लोहरदगा ने झालसा रांची के मार्गदर्शन में कार्य करते हुए इस वर्ष अब तक उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल राज्य से कुल 43 मजदूरों को सफल रेस्क्यू कराया है. इस संबंध में डालसा सचिव राजेश कुमार ने कहा कि अभी-अभी पश्चिम बंगाल के हुगली जिला अन्तर्गत बलरामपुर क्षेत्र में 34 मजदूर जो बीबीएफ मार्क ईंटा-भट्ठा में काम करने गये थे. लेकिन उन सबको वहां बंधक बना लिया गया था. उन लोगों को ना तो उनके पैसों का भुगतान हो रहा था और ना ही ईंट भट्ठा मालिक उसे छोड़ने को तैयार था.
लोहरदगा डालसा को इसकी लिखित जानकारी ग्रामीण विकास श्रमिक समिति लिमिटेड के उदय प्रताप सिंह ने 20 जुलाई 2023 को दी थी. अविलंब इसकी जानकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार लोहरदगा राजेंद्र बहादुर पाल को देते हुए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) रांची को भी दी गयी. निर्देशानुसार हुगली जिले के जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्रमिता घोष से समन्वय स्थापित कर उन बंधक मजदूर तक गुप्त तरीके से संपर्क स्थापित किया गया.
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लोहरदगा जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने दो प्रदेशों से 43 मजदूरों को कराया मुक्त
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पश्चिम बंगाल के हुगली स्थित ईंट भट्ठा में बंधक बने मजदूरों का सफल रेस्क्यू किया
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हुगली से मुक्त कराये गये मजदूरों को 6,11,548 रुपये का भुगतान भी करवाया
हुगली के बलरामपुर में बंधक बने थे भंडरा के 34 मजदूर
उन 34 मजदूरों को हुगली जिला के बलरामपुर क्षेत्र में रखा गया था. जिसे भंडरा लोहरदगा से सरदार बुधराम उरांव (पिता सोमा उरांव) के नेतृत्व में ले जाया गया था. हुगली जिला के पुलिस बल के सहयोग से अब तक 22 मजदूरों का सफल रेस्क्यू कराया गया है. और छुड़ाये गये सभी मजदूरों को उनके कुल बकाये राशि 6,11,548 का भुगतान भी ईंट भट्ठा मालिक द्वारा कराया गया. अभी तक रेस्क्यू कराये गये लोगों में शामिल हैं.
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मंगरी उरांव, कार्तिक उरांव, मंटी उरांव, रीना उरांव, शांति उरांव, पंछी उरांव, गीता उरांव, सुमति उरांव, विनोद उरांव, बिरसा उरांव, मोदन उरांव, बुधवा उरांव, आनंद उरांव, सुरेंद्र उरांव, वीरेंद्र उरांव, रघु उरांव, राजेंद्र उरांव, मंगलेश्वर उरांव, अनिल उरांव, सुनील उरांव, यीशु उरांव, एवं बरगी उरांव. सारे मजदूर भंडरा ब्लॉक के विभिन्न गांव से ईटा भट्ठा में काम करने हुगली पश्चिम बंगाल गए थे. बाकी बचे मजदूरों के रेस्क्यू कराने का काम भी किया जा रहा है. 21 अगस्त तक बाकी अन्य मजदूरों का रेस्क्यू भी उनके पारिश्रमिक मिलने के पश्चात करा दिया जायेगा.
किस्को की 6 महिलाओं को गोरखपुर से मुक्त कराया गया
प्राधिकार के सचिव राजेश कुमार ने यह भी बताया कि इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से छह महिलाएं जिनमें जयनब बीवी जो ग्राम होंदागा, थाना किस्को के निवासी हैं. छोटकी बीवी, सुटकी बीवी, सविता देवी, चिंता देवी, खुशी लोहराईन एवं तीन पुरुष मजदूर- प्रकाश बैठा, शंकर बैठा एवं मनोज बैठा सभी भंडरा थाना अंतर्गत ग्राम भौरों एवं बलसोता के निवासी हैं को वहां के ईट भट्ठा मालिक बीरू राय ने न सिर्फ बंधक बनाया था. बल्कि काम के बदले मेहनताना भी नहीं देता था और तो और मलिक के साथ मुंशी एवं उसके अन्य चार-पांच लोग शौच के लिए जाने पर भी इनका पीछा करते थे. उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता था.
इस संबंध में17 जनवरी को डालसा कार्यालय में लिखित आवेदन अफरोजी बीबी, पति सलमान अंसारी, ग्राम होंदागा, थाना किस्को, जिला लोहरदगा के द्वारा दिया गया था. तत्पश्चात झालसा, रांची को इसकी जानकारी दी गई थी एवं गोरखपुर डालसा सचिव से समन्वय स्थापित कर सभी नौ मजदूरों को गोरखपुर जिला अंतर्गत गोला बाजार थाना के ग्राम दुरई के एके मार्का का ईंट भट्ठा से मुक्त कराया गया था. रेस्क्यू किये गये मजदूरों ने 10 फरवरी 2023 को लिखित आवेदन के माध्यम से डालसा कार्यालय आकर इसकी जानकारी दी थी.
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उन लोगों ने कहा था कि बिचौलिया टुनी सिंह जो गया जिले का निवासी है के बहकावे में आकर फंस गये थे. किंतु डालसा के प्रयास से अब वे सभी सकुशल घर वापस आ चुके हैं. प्राधिकार के सचिव ने संबंधित पीएलवी को निर्देश दिया है कि जो मजदूर काम करने राज्य से बाहर जाते हैं, उनका निबंधन लोहरदगा श्रम कार्यालय में कराना सुनिश्चित करें. ताकि भविष्य में रोजगार की खोज करने वालों के साथ कोई जुल्म एवं जोर-जबरदस्ती ना हो. पंजीकृत प्रवासी मजदूरों के साथ कोई दुर्घटना होती है जिसमें मृत्यु एवं शारीरिक अंगों की हानि शामिल है तो उस स्थिति में पीड़ित को 2 लाख तक का भुगतान सरकार के स्तर पर किया जाता हैं. प्रवासी मजदूर निबंधन अवश्य करायें.