दिलीप दीपक
Jharkhand News: मामला दाखिल-खारिज का हो, ऑनलाइन जमाबंदी का हो या कागजात ऑनलाइन कराने का, गोविंदपुर अंचल कार्यालय में काम कराना आसान नहीं है. इसके लिए राजस्व उपनिरीक्षक से लेकर अंचल अधिकारी तक दौड़ते-दौड़ते लोगों के जूते घिस जाते हैं. फिर भी काम नहीं हो पाता है. बगैर रिश्वत के दाखिल-खारिज या ऑनलाइन का काम नहीं हो पाता है. हाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2022- 23 में अब तक आये 2500 आवेदनों में 1059 लंबित हैं. 840 आब्जेक्ट में हैं. वहीं मात्र छह सौ का डिस्पोजल हुआ है.
स्थिति तो यह है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का महत्वाकांक्षी ‘आपके अधिकार आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम में जनता द्वारा दिये गये ऑनलाइन व दाखिल-खारिज के मामलों का निष्पादन भी नहीं किया गया है. अधिकांश दाखिल-खारिज के मामले रिजेक्ट कर दिये गये और जिन लोगों ने राजस्व उप निरीक्षक और अंचल अधिकारी से अलग-अलग मुलाकात की, उन्हीं के मामलों का निष्पादन हुआ.
ग्रामीणों का कहना है कि बगैर रिश्वत के जनता का कोई काम नहीं होता, चाहे वह म्यूटेशन का मामला हो या कायम जमाबंदी को ऑनलाइन कराने का. जमीन की सरकारी मापी या किसी भी तरह के अनापत्ति प्रमाण पत्र मामले में भी कथित रूप से पैसे मांगे जाते हैं. इसके लिए सरकारी अमीन, राजस्व उपनिरीक्षक और अंचलाधिकारी की अलग-अलग दर निर्धारित है. जो निर्धारित शुल्क अदा नहीं करते हैं, उनका काम नहीं होता है.
वित्तीय वर्ष 21-22 22- 23
दाखिल खारिज
के आवेदन 13000 2500
लंबित 80 1059
डिस्पोजल 5760 600
ऑब्जेक्ट 120 840
रिजेक्ट 7000 एक
कायम जमाबंदी को ऑनलाइन करने व दाखिल-खारिज के कुछ आवेदन पेंडिंग हैं. बीच में चुनाव के कारण भी काम पेंडिंग है. कागजात मिलाने में समय जरूर लग जाता है. अब तेज गति से आवेदनों का निष्पादन शुरू हुआ है. आर्थिक लेनदेन का आरोप निराधार है.
रामजी वर्मा, अंचल अधिकार, गोविंदपुर