झारखंड : 7 साल के जगन्नाथ महतो को कंठस्थ है संविधान की प्रस्तावना, अपने दोस्तों को भी पढ़ाता है पाठ
जगन्नाथ को करीब पांच साल की उम्र में प्रस्तावना कंठस्थ हो गई थी, उस समय वह पहली कक्षा में पढ़ता था. जगन्नाथ महतो संविधान की प्रस्तावना को काफी आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करता है. जगन्नाथ की इस प्रतिभा से जिला प्रशासन से लेकर जिला शिक्षा विभाग भी हैरान है.
सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश : प्राथमिक विद्यालय संजय (सरायकेला) के तीसरी कक्षा का छात्र जगन्नाथ महतो को संविधान की पूरा प्रस्तावना कंठस्थ है. इस सात साल के बच्चे को संविधान की प्रस्तावना कंठस्थ है. जगन्नाथ की प्रतिभा देखकर हर कोई हैरान हो जाता है. इसे देखकर कई लोग हैरान रह जाते हैं कि आखिर इतने छोटे बच्चे को संविधान की प्रस्तावना कंठस्थ कैसे है. जगन्नाथ रोजाना स्कूल में अपने कक्षा के सहपाठियों को संविधान प्रस्तावना का पाठ पढ़ाता है. संविधान दिवस पर सरकारी कार्यालय, संस्थानों, स्कूल, कॉलेजों में प्रस्तावना पढ़ा जाता है. लोग प्रस्तावना की कॉपी हाथ में लिए उसे निहारते हैं, लेकिन इस सात साल के बच्चे को यह पूरा कंठस्थ है. यह रोजाना अपने सहपाठियों को भी प्रस्तावना याद करवाता है. तीसरी कक्षा का यह छात्र अपने स्कूल के बच्चों को संविधान के संदर्भ में जानकारी देता है.
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पांच वार्ष की उम्र से ही जगन्नाथ को कंठस्थ है संविधान की प्रस्तावना
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जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग भी जगन्नाथ की प्रतिभा देख हैरान
झालसा की ओर से किया जा चुका है सम्मानित
स्कूल के शिक्षक रमण प्रधान बताते हैं कि जगन्नाथ को करीब पांच साल की उम्र में प्रस्तावना कंठस्थ हो गई थी, उस समय वह पहली कक्षा में पढ़ता था. जगन्नाथ महतो संविधान की प्रस्तावना को काफी आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करता है. जगन्नाथ की इस प्रतिभा से जिला प्रशासन से लेकर जिला शिक्षा विभाग भी हैरान है. शिक्षा विभाग के निर्देश पर राज्य स्तरीय टीम ने बीते दिनों जगन्नाथ की इस प्रतिभा का मूल्यांकन कर इस पर एक वृत्तचित्र भी बनाया. जिसे आगे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया गया था. इसकी प्रतिभा को देख इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर छात्र जगन्नाथ महतो को रांची में झालसा की ओर से सम्मानित किया गया था.
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