झारखंड : गढ़वा के बंशीधर मंदिर में अपनी मर्जी से विराजे हैं श्री कृष्ण, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मन्नतें
गढ़वा के बंशीधर मंदिर में विराजमान भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप अद्भुत है. कहते हैं यहां भगवान श्री कृष्ण के दर्शन मात्र से सभी मन्नतें पूरी हो जाती है. बंशीधर मंदिर में विराजे भगवान श्री कृष्ण को देखो तो ऐसा लगता है, जैसे वे आपके अंतर्मन से बात कर रहे हों.
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर गढ़वा का बंशीधर मंदिर पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मन्नतें पूरी हो जाती है. बंशीधर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की प्रतिमा 32 मन यानी 1280 किलो शुद्ध सोने की है.
कहते हैं भगवान कृष्ण यहां अपनी इच्छानुसार यहां विराजमान हुए हैं. बंशीधर मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है. मान्यता है कि करीब 200 साल पहले भगवान कृषण नगर उंटारी की राजमाता शिवमणि कुंवर के सपने में आए थे. सपने में उन्हें महुअरिया पहाड़ में भगवान कृष्ण की मूर्ति छुपाई गई है, पहाड़ पर जाकर देखा गया था, वहां पर सच में भगवान कृष्ण की मूर्ति थी. जिसके बाद उस मूर्ति को हाथी से राजमहल लाया जा रहा था, लेकिन वह हाथी राजमहल के बाहर ही बैठ गया था. बहुत कोशिशों के बाद भी जब हाथी वहां से नहीं हटा तो बाद महल के बाहर ही प्रतिमा को स्थापित कर दिया गया. राधा की प्रतिमा वहां बाद में वहां काशी से लाई गई.
दोनों प्रतिमाएं स्थापित होने के बाद वहां मंदिर का निर्माण कराया गया. शायद यह पहला मामला है, जहां पहले से प्रतिमा स्थापित हुई है. उसके बाद मंदिर बनाया गया है. यह मंदिर झारखंड-यूपी सीमा पर नगर उंटारी में है, जिसे हम बंशीधर नगर के नाम से भी जानते हैं. यह भगवान कृष्ण की महिमा ही है कि यहां दूर दूर से लोग दर्शन को आते हैं.