Jharkhand Budget Session 2021, Dhanbad News, धनबाद (अशोक कुमार) : झारखंड की राज्य की हेमंत सरकार अपने इस कार्यकाल का दूसरा बजट 3 मार्च को पेश कर रही है. मालूम हो कि झारखंड सरकार के अधीन 30 से अधिक विभाग हैं. इन सभी विभागों द्वारा अपने अपने स्तर से बजट को अंतिम रूप दे दिया गया है. वहीं, इस बजट को लेकर राज्य के हर वर्ग को काफी उम्मीदें हैं. बजट को लेकर अपनी हर क्षेत्र में विकास के लिए अपनी उम्मीदों को शिक्षक समाज ने प्रभात खबर के साथ साक्षा किया.
3 मार्च को होने वाले झारखंड बजट को लेकर लोगों की उम्मीद काफी बढ़ गयी है. खासतौर से अभावों से जूझ रहे शिक्षा क्षेत्र को तो इससे काफी अधिक उम्मीद है. इसके साथ ही उद्योग एवं कृषि क्षेत्र को की हेमंत सरकार से काफी अधिक उम्मीद है. इसके साथ ही हर क्षेत्र के लिए आवंटित किए जाने वाले बजट के आकार में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है.
बीबीएमकेयू के अर्थशास्त्र शिक्षक डॉ मुनमुन शरण कहते हैं कि झारखंड की अर्थव्यवस्था मूल रूप से खनिज संपदा पर आधारित है. यहां कोयला लौह अयस्क बॉक्साइट अभ्रक तांबा आदि प्रचुर मात्रा में खनिज उपलब्ध है. किंतु इन खनिज संपदा ऊपर आधारित उद्योगों की संख्या यहां काफी कम है. निश्चित तौर पर राज्य सरकार को इन खनिज संपदा पर आधारित उद्योग को प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे ना सिर्फ राज्य की आर्थिक विकास में सहायक होगा बल्कि यहां के स्थानीय युवाओं को बड़े पैमाने पर नौकरी भी मिलेगा. इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में भी यहां अपार संभावनाएं हैं. विगत वर्ष 2020 में प्रदेश में 40.8 फीसद ज्यादा धान का उत्पादन हुआ है इसके अलावा मक्का दूर उड़द ज्वार एवं गेहूं के उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज हुई की गई है. अगर सरकार कृषि क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करती है तो राज्य के राजस्व प्राप्ति में वृद्धि, आने वाले वर्षों में दर्ज की जाएगी.
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बीबीएमकेयू हिंदी विभाग डॉ मुकुंद रविदास ने कहा कि झारखंड में क्षेत्रीय भाषाएं विलुप्त हो रही हैं. इन भाषाओं को विकसित करने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए. कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में पुस्तकालयों की स्थिति काफी दयनीय है इन पुस्तकालयों, लैब और शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए अलग से बजट का आवंटन होना चाहिए. बजट में प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक के क्वालिटी में सुधार के लिए अलग से फंड होना चाहिए. इसके लिए शिक्षकों की कमी को फौरन दूर करने के लिए की बजट होना चाहिए. विवि और महाविद्यालयों में आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए विशेष कार्ययोजना की आवश्यकता है. सिर्फ रूसा के भरोसे यह नहीं किया जा सकता है. इसके लिए विवि को फंड जारी करने में विलंब नहीं किया जाना चाहिए.
बीबीएमकेयू के केमेस्ट्री विभाग सह जिला अध्यक्ष प्रोफेशनल कांग्रेस के डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना जैसे महासंकट के बीच आने वाला राज्य का अगला बजट गरीब, मजदूर, बेरोजगार नौजवान, किसान, समर्पित और महंगाई पर रोक लगाने वाला होना चाहिए. इसके साथ धनबाद को जाम से निजात दिलाने के लिए बजट में शहर के लिए ओवर ब्रिज का प्रावधान होना चाहिए. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में बीएड समेत प्रोफेशनल कोर्स की पढाई सरकारी कॉलेजों में कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए. दूसरी ओर स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर करने पर विशेष फंड होना चाहिए. इस लिए यहां के मेडिकल कॉलेज में और अधिक सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए. साथ सभी ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में पैथोलॉजिकल टेस्ट (जो की अभी सिर्फ सदर अस्पताल में है) की व्यवस्था की लिए बजटीय प्रावधान होनी चाहिए. करोना संकट में आने वाला बजट रोजगार उन्मुखी होनी चाहिए.
बीबीएमकेयू के इंग्लिश विभाग के डॉ इंद्रजीत कुमार ने कहा कि कोरोना ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में शिक्षा देने के क्षेत्र में व्यापक बदलाव कर दिया है. अब शिक्षा का डिजिटल दौर शुरू हो गया है. बजट में इस दौर से कदमताल मिलाने की व्यवस्था होनी चाहिए. राज्य के हर सरकारी स्कूल और कॉलेजों को कार्ययोजना बनाकर इंटरनेट से जोड़ना चाहिए. सभी शिक्षण संस्थानों में स्मार्ट क्लासरूम होने चाहिए. शिक्षकों को स्मार्टक्लास रूम को संचालित करने की प्रशिक्षण भी दिलाना चाहिए. इससे वैसे स्कूल जहा शिक्षकों की कमी है. वहां के छात्र भी विशेषज्ञ शिक्षक से ऑन लाइन माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए बजट में एक बड़ा प्रावधान रखना चाहिए. इसके साथ ही सभी विवि और महाविद्यालयों के लाइब्रेरी और लैब को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता है. जिससे उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा.
Posted By : Samir Ranjan.