शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला :
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें सरायकेला के विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य के साथ भी जुड़ी हुई है. देश की आजादी के पूर्व गांधी जी ने सरायकेला के छऊ नृत्य को देखा था और इस नत्य की जमकर प्रशंसा की थी. इसका जिक्र पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुस्तक इटालियन इंडिया व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरु की किताब में भी किया गया है. बात है 1937 की, जब देश में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ चलाये जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए गांधी जी कोलकाता पहुंचे थे.
वे उस वक्त शरत चंद्र बोस के कोलकाता स्थित आवास में ठहरे हुए थे. इस दौरान शरत चंद्र बोस के घर पर छऊ नृत्य कार्यक्रम आयोजन हुआ. सरायकेला राजघराने की अगुवाई में रोयल डांस ग्रुप के कलाकार ने अपनी टीम के साथ गांधी जी के सामने नृत्य प्रस्तुत किया. राधा-कृष्ण की जोड़ी में कर रहे नृत्य को देख कर गांधी जी भाव विहोर हो गये थे. उन्होंने नृत्य देखने के पश्चात कहा था कि नृत्य देखते वक्त ऐसी अनुभूति हो रही थी कि मानों मैं वृंदावन में हूं और मेरे सामने राधा-कृष्ण नाच रहे हों.
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1925 में देश में चलाये जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए गांधी जी चाईबासा आए थे. चाईबासा में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद गांधी जी चाईबासा के गौशाला में पहुंच कर कुछ वक्त गुजारा था. उस वक्त गौशाला में तत्कालीन अध्यक्ष बारसी दास पसारी के सेवा भाव को देखकर गांधी जी ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा था कि तुम बहुत नेक कार्य कर रहे हो. तब महात्मा गांधी ने गौशाला रह रही गायों को पुचकारा भी था. इस दौरान गांधी जी ने गौशाला की डायरी में अपना शुभ संदेश भी लिखा था और अपने हस्ताक्षर किये थे. कहा जाता है कि गांधी जी ने गौशाला की व्यवस्था देख कर खूब तारीफ की थी. इस दौरान जब गांधी जी जमीन पर खजूर के पत्ते से बनी चटाई पर बैठ कर गौशाला में रह रही गाय का दूध पिया था. साथ ही उन्हें मिट्टी की हांडी से बनायी गयी चाय भी पिलाई गयी थी.