अब झारखंड के बच्चे पढ़ेंगे गुरुजी, बिनोद बाबू और निर्मल महतो की जीवनी, शिक्षा मंत्री ने दिये निर्देश
झारखंड के सरकारी स्कूलों में अब अगले शैक्षणिक सत्र से शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और स्व. निर्मल महतो की जीवनी पढ़ेंगे. इसे लेकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो स्कूली शिक्षा के सचिव को पत्र लिखा है और जरूरी दिशा निर्देश दिये हैं.
Jharkhand News रांची : झारखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र से दिशोम गुरु शिबू सोरेन, पूर्व सांसद स्व. बिनोद बिहारी महतो और स्व. निर्मल महतो की जीवनी पढ़ाने की तैयारी चल रही है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने तीनों की जीवनी शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनुशंसा करते हुए जरूरी निर्देश जारी किया है.
श्री महतो ने गुरुवार को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को एक पत्र लिखा. उन्हें निर्देश दिया गया है कि गुरुजी, बिनोद बाबू और निर्मल महतो के जीवन के बारे में छात्र अवगत हों, इसके लिए उनकी जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये. मंत्री ने सचिव को सभी तरह की आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही है. श्री महतो ने कहा है कि उनकी दिली इच्छा है कि झारखंड के इन सम्मानित नेताओं की जीवनी से झारखंड के नौनिहालों को अवगत कराया जाये.
किस कक्षा में होगी पढ़ाई, बाद में होगा निर्णय
तीनों की जीवनी किस कक्षा में पढ़ाई जायेगी, इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. शिक्षा मंत्री ने पत्र में कहा है कि शिबू सोरेन झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में गुरुजी के नाम से जाने जाते हैं. उनकी संघर्ष-गाथा प्रेरणास्रोत के रूप में बतायी जाती है. झारखंड राज्य के गठन में इनकी सर्वोपरि भूमिका रही है और गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़ों को सूदखोरों से निजात दिलाने के लिए इनका संघर्ष ऐतिहासिक है.
स्व. बिनोद बिहारी महतो की संघर्ष गाथा झारखंडियों के लिए अविस्मरणीय है. उन्होंने अलग झारखंड के लिए आंदोलन में सक्रिय सहभागिता निभायी. शिक्षा के क्षेत्र में भी रचनात्मक एवं सृजनात्मक भूमिका निभायी. राज्य में अनगिनत स्कूल-कॉलेजों की स्थापना को लेकर भी सक्रिय रहे. आज भी शिक्षा के क्षेत्र में इनका नाम आदर से लिया जाता है. वहीं झारखंड आंदोलनकारी के रूप में आदर के साथ जाने जाने वाले स्व. निर्मल महतो को शोषित एवं वंचित तबकों के लोगों के उत्थान व उनमें जागरूकता लाने के क्रम में अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी थी. झारखंड विरोधियों द्वारा इनकी हत्या कर दी गयी थी.
चंद्रपुरा में संस्कृत विद्यालय खोलने के लिए पत्र
चंद्रपुरा प्रखंड में संस्कृत विद्यालय की स्थापना के लिए भी शिक्षा मंत्री ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को अनुशंसा पत्र लिखा है. इसमें कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र के इस प्रखंड में ब्राह्मणों की अच्छी संख्या है. अन्य जाति के बच्चे भी संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए उत्सुक रहते हैं. बोकारो जिला में एक भी संस्कृत विद्यालय नहीं है. इस कारण बच्चों को काफी कठिनाई होती है.
Posted By: Sameer Oraon