Loading election data...

Coronavirus: मोबाइल कॉल डिटेल से हो रही कोरोना मरीजों की तलाश, झारखंड सहित देश के इन 8 राज्यों में हो रहा प्रयोग

Coronavirus, coronavirus update, covid-19 in jharkhand: झारखंड सहित देश के आठ राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीज को उनकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) की मदद से ट्रेस किया जा चुका है. सबसे पहले ऐसा केरल पुलिस ने किया था जिसकी खूब आलोचना हुई थी. कई लोगों ने इसको निजता का हनन करार दिया था. लेकिन अब देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य विभाग के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग मानकों को मजबूत करने के लिए पुलिस सीडीआर का ही सहारा ले रही है

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2020 7:54 AM

Coronavirus, coronavirus update, covid-19 in jharkhand: झारखंड सहित देश के आठ राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीज को उनकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) की मदद से ट्रेस किया जा चुका है. सबसे पहले ऐसा केरल पुलिस ने किया था जिसकी खूब आलोचना हुई थी. कई लोगों ने इसको निजता का हनन करार दिया था. लेकिन अब देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य विभाग के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग मानकों को मजबूत करने के लिए पुलिस सीडीआर का ही सहारा ले रही है

सीडीआर से कोरोना मरीजों की पहचान के लिए केरल और उत्तर प्रदेश का नाम तो सब जानते हैं लेकिन छह और भी राज्य हैं जो ऐसा कर रहे हैं या कर चुके हैं. कुछ राज्यों में यह तब किया गया था जब तबलीगी जमात के लोगों की खोज की जा रही थी. कुछ राज्यों में सीडीर की मदद तब ली गई जब कोरोना संक्रमीत मरीज अपना ट्रैवल हिस्ट्री या कॉन्टेक्ट हिस्ट्री नहीं बताने में प्रशासन की मदद नहीं कर रहा था.

ये हैं वो राज्य

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, वर्तमान में केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और तमिलानाडु में सीडीआर मॉडल का प्रयोग हो रहा है. जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में सीडीआर का प्रयोग बंद हो चुका है. कर्नाटक वो राज्य हैं जहां इस मॉडल पर विचार किया जा रहा, जल्द ही लागू हो सकता है. रांची के एसडीएम लोकेश मिश्रा ने कहा कि हम सीडीआर का सहारा तब लेते हैं जब कोरोना संक्रमित मरीज अनट्रेसेबल हो जाता है या फिर वह गायब जाता है. सीडीआर की मदद से उसकी लोकेशन को ट्रेस करते हैं.

Also Read: रांची के डॉक्टर समेत कोरोना से नौ की मौत, झारखंड में 967 नये पॉजिटिव, अबतक 26000 से ज्यादा संक्रमित
सीडीआर से कैसे होती है मरीजों की पहचान

सीडीआर की मदद से उन लोगों पर फोकस किया जा सकता है, जिनके संपर्क में कोई भी कोरोना मरीज आया था. पुलिस की भूमिका केवल उन लोगों की सूची निकालने की है, जिनके संपर्क में कोरोना मरीज आया. उनकी बातचीत का ब्योरा नहीं रखा जाता है. कोविड मरीज की तलाश के लिए यह महज एक टूल है, इसका लक्ष्य यह वेरिफाई करना है कि शारीरिक या टेलिफोनिक तौर पर व्यक्ति मरीज से संपर्क में आया या नहीं.

सीडीआर में पिछले 10 से लेकर 14 दिनों की स्कैनिंग की जाती है. जिला सर्विलांस की टीम कोरोना मरीजों की लिस्ट स्थानीय पुलिस हेडक्वॉर्टर से साझा करती है. इसके बाद टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर से जानकारी मांगी जाती है. फिर संबंधित व्यक्ती से संपर्क कर आगे की कार्वाही होती है.

Posted By: Utpal kant

Next Article

Exit mobile version