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झारखंड में Chandil Dam के विस्थापितों का छीना आशियाना, 5 दिनों से जलमग्न हैं कई गांव, लोगों में आक्रोश

Jharkhand News : झारखंड के सरायकेला जिला प्रशासन व चांडिल डैम प्रबंधन की बेपरवाही से तीन प्रखंडों (चांडिल, नीमडीह व कुकड़ू) के दर्जनों विस्थापित गांव पांच दिनों से जलमग्न हैं. सैकड़ों परिवार अपना घर-बार छोड़कर तंबू व स्कूलों में रह रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2022 4:41 PM

Jharkhand News : झारखंड के सरायकेला जिला प्रशासन व चांडिल डैम प्रबंधन की बेपरवाही से तीन प्रखंडों (चांडिल, नीमडीह व कुकड़ू) के दर्जनों विस्थापित गांव पांच दिनों से जलमग्न हैं. सैकड़ों परिवार अपना घर-बार छोड़कर तंबू व स्कूलों में रह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पानी कम होने के बाद कितने घरों को नुकसान पहुंचा है, इसका पता चल सकेगा. एक बार फिर हम विस्थापितों का आशियाना छीन लिया गया.

लोगों में आक्रोश

चां‍डिल डैम के विस्थापितों का आरोप है कि विभाग ने बिना सूचना व डुगडुगी बजाए दर्जनों विस्थापित गांवों को अपनी लापरवाही से डूबो दिया. पांचवें दिन भी डैम के चार गेट खुले रहे. चांडिल डैम का जलस्तर चौथे दिन मंगलवार को 182.75 मीटर रहा. डैम के चार रेडियल गेट डेढ़-डेढ़ मीटर खोले गये हैं. विस्थापितों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्थानीय सांसद व विधायक के नहीं पहुंचने से लोगों में आक्रोश है.

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पानी घटने के बाद बीमारियों का भय

हर साल डैम का पानी घटने के बाद विस्थापितों को डायरिया, टायफायड, मलेरिया जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है. विस्थापितों को चिंता सताने लगी है. बाबूचमदा की विस्थापित मीनू कुमारी ने कहा कि डैम का जलस्तर अचानक बढ़ने से विस्थापितों के बत्तख व मुर्गी मर गये. वहीं कपड़ा, राशन व अन्य सामग्री बर्बाद हो गये. हमने किसी तरह निकल कर जान बचायी. अभी स्कूल भवन में हैं.

डैम में डूब गया सब कुछ

बाबूचमदा के विस्थापित खिलीपानी कुमार ने कहा कि हमारा सब कुछ डैम के पानी में डूब गया. हमने अपने बच्चों के साथ किसी तरह निकल कर जान बचायी. दिन में एक बार किसी तरह खाना बनाकर परिवार का पेट भर रहे हैं. बाबूचमदा के विस्थापित प्रियंका गोप ने कहा कि हमारा घर गिर चुका है. दूसरों का घर में रह रहे हैं. दिन में किसी तरह एक बार खाना मिल रहा है. हमें जमीन का मुआवजा व पुनर्वास स्थल नहीं मिला है. फसल भी डूब गयी. सरकार मदद दे. बाबूचमदा के विस्थापित शंभु मछुआ ने कहा कि खेत डूबने से फसल बर्बाद हो गयी. हमारे बत्तख, मुर्गी, बकरी डूब कर मर गये. घर भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. प्रशासन की ओर से सिर्फ खिचड़ी दिया जा रहा है.

विस्थापितों का दर्द

ईचागढ़ गांव के विस्थापित खिरोद चंद्र मंडल कहते हैं कि ईचागढ़ गांव में दुकान चलाता हूं. दुकान डूबने से करीब 20 हजार रुपये का नुकसान हुआ है. लापरवाही के कारण हमें फिर से शुरुआत करनी होगी. सरकार हमारी मदद करे. ईचागढ़ गांव के विस्थापित गुरुपद बागची ने कहा कि बिना सूचना चांडिल डैम का पानी बढ़ा दिया गया. घर में रखे धान, चावल व कागजात बर्बाद हो गये. अबतक स्थानीय सांसद व विधायक हाल जानने नहीं पहुंचे हैं. विस्थापित तंबू डालकर रहने को विवश हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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