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सरायकेला की पहली महिला जिन्हें मिलेगा पद्मश्री सम्मान, डायन के नाम पर झेल चुकी है कई गहरे जख्म

Jharkhand News, Saraikela News, सरायकेला : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस गांव की छुटनी देवी को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. छूटनी देवी विगत दो दशक से भी अधिक समय से अपने क्षेत्र में डायन प्रताड़ना की शिकर हुई महिलाओं के लिए कार्य कार्य रही हैं. साथ ही इसको लेकर लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. इससे पहले सरायकेला- खरसावां जिले में अब तक 7 अन्य लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.

Jharkhand News, Saraikela News, सरायकेला (शाचिन्द्र कुमार दाश) : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस गांव की छुटनी देवी को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. छूटनी देवी विगत दो दशक से भी अधिक समय से अपने क्षेत्र में डायन प्रताड़ना की शिकर हुई महिलाओं के लिए कार्य कार्य रही हैं. साथ ही इसको लेकर लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. इससे पहले सरायकेला- खरसावां जिले में अब तक 7 अन्य लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.

इस साल सरायकेला की छुटनी देवी को इस सम्मान के लिए चयन हुआ गया है. छुटनी देवी महिला उत्पीड़न, डायन प्रताड़ना और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रही है. वर्ष 1995 से ही छुटनी देवी इस पर कार्य कर रही हैं. इधर, छुटनी देवी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने की खुशी पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. केंद्रीय मंत्री सह स्थानीय सांसद अर्जुन मुंडा ने बधाई देते हुए कहा कि महिला उत्पीड़न, डायन प्रताड़ना और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उनका संघर्ष इतिहास में दर्ज हो चुका है. वहीं, स्थानीय विधायक दशरथ गहराई ने भी छुटनी देवी को बधाई देते हुए कहा है कि उनके कार्यों को सम्मान मिला है.

मालूम हो कि इस वर्ष झारखंड से सिर्फ सरायकेला- खरसावां जिला के छुटनी देवी को ही पद्मश्री पुरस्कार मिला है. सरायकेला- खरसावां जिला से पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों में छुटनी देवी पहली महिला है. छुटनी देवी से पूर्व 7 अन्य लोगों को कला के क्षेत्र (छऊ नृत्य) के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है.

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इन्हें मिल चुका है पद्मश्री पुरस्कार

सरायकेला- खरसावां जिला में छुटनी देवी से पहले छऊ नृत्य में बेहतर कार्य करने के लिए सुधेन्द्र नारायण सिंहदेव, केदारनाथ साहू, मकरध्वज दारोघा, गोपाल प्रसाद दुबे, मंगला चरण मोहंती, श्यामा चरण पति और शशधर आचार्य पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं.

डायन के नाम पर कई गहरे जख्म झेले : छुटनी देवी

इधर, पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर छुटनी देवी ने कहा कि डायन के नाम कई गहरे जख्म झेले हैं. इसके कारण 4 बच्चों को लेकर घर छोड़ना पड़ा. कहती हैं कि अगर डायन होती, तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ.

मरते दम तक रहेगा संघर्ष

कहती हैं कि ओझा के कहने पर ग्रामीणों ने ऐसा जुल्म किया, जिसकी कल्पना सभ्य समाज नहीं कर सकता है. प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं. मैं उस असभ्य समाज से लोहा ले रहा हूं जहां नारी को सम्मान नहीं मिलता. मरते दम तक संघर्ष जारी रहेगा. वर्ष 1995 में मेरे लिए कोई खड़ा नहीं हुआ था. लोग मुझसे जलते थे कि मैं क्यों अच्छे कपड़े पहनती हूं.

Posted By : Samir Ranjan.

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