Jharkhand Foundation Day: झारखंड के जिस बच्चे को द्रौपदी मुर्मू ने लिया था गोद, पढ़िए उसकी पूरी कहानी
झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने जिस बच्चे को गोद लिया था, वह बच्चा धालभूमगढ़ प्रखंड के इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहा है. वह फिलहाल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है. वह पढ़कर डॉक्टर बनना चाहता है. उसकी दिव्यांग मां लुगनी मुंडा गांव में रहती है.
Jharkhand Foundation Day: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांदा के मासूम बच्चे को वर्ष 2017 में झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोद लिया था. तब से अब तक इस बच्चे की परवरिश में राजभवन द्वारा सहयोग किया जा रहा है. हर दीपावली पर बच्चे और उसकी दिव्यांग मां लुगनी मुंडा (बदला हुआ नाम) को उपहार भेजा जाता है. ये बच्चा फिलहाल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है. वह डॉक्टर बनना चाहता है.
जब द्रौपदी मुर्मू ने बच्चे को लिया था गोद
झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने जिस बच्चे को गोद लिया था, वह बच्चा धालभूमगढ़ प्रखंड के इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहा है. वह फिलहाल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है. वह पढ़कर डॉक्टर बनना चाहता है. उसकी दिव्यांग मां लुगनी मुंडा गांव में रहती है. एक वक्त था, जब दिव्यांग लुगनी और उसके मासूम बच्चे की जिंदगी अंधकार में थी. तब सूचना मिलते ही द्रौपदी मुर्मू ने उस बच्चे को गोद ले लिया था. ये बात वर्ष 2017 की है. उस वक्त द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं. इनकी इस पहल से इस बच्चे की जिंदगी रोशन हो गयी है.
Also Read: Jharkhand Foundation Day: बिरसा मुंडा के साथी नायक आज भी हैं गुमनाम, सईल रकब की लड़ाई से क्या है कनेक्शन
नक्सली गुलाछ मुंडा ने किया था दुष्कर्म
कभी गुड़ाबांदा का इलाका घोर नक्सल प्रभावित था. यहां नक्सलियों का आतंक चरम पर था. इसी गांव के एक नक्सली गुलाछ मुंडा ने दिव्यांग लुगनी मुंडा के साथ दुष्कर्म किया था. इससे लुगनी गर्भवती हो गयी थी. जब बच्चे का जन्म हुआ, तब नक्सली आतंक का स्याह सच समाज के सामने आया.
द्रौपदी मुर्मू ने लिया था संज्ञान
प्रभात खबर ने उस वक्त ये मामला उठाया था. इसकी खबर मिलते ही झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने संज्ञान लेते हुए उपायुक्त को आदेश दिया था कि मां और उसके बच्चे को राजभवन लाया जाए. प्रशासनिक टीम मां और बच्चे को लेकर राजभवन गयी थी. इसके बाद उन्होंने बच्चे को गोद लेने की घोषणा की थी. बच्चा बड़ा हुआ तो पास के स्कूल में उसका एडमिशन कराया गया. ये बच्चा अभी पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है. वह स्कूल के छात्रावास में ही रहकर पढ़ाई करता है. बच्चे ने कहा कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है.
रिपोर्ट : मो परवेज, घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम