Jharkhand Foundation Day: खूंटी का डोंबारी बुरू, जहां जालियांवाला बाग से पहले सैकड़ों आदिवासी हुए थे शहीद
भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1899 को अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. इस सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभास्थल को चारों ओर से घेर लिया. अंग्रेजों ने सभास्थल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी.
Jharkhand Foundation Day: झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरू अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह है. अंग्रेजों ने यहां निहत्थे आदिवासियों पर गोलियों की बौछार की थी. इसमें सैकड़ों आदिवासियों ने अपनी जान गंवाई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे. डोंबारी बुरू की ये घटना जालियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) से पहले हुई थी. 9 जनवरी 1899 को डोंबारी बुरू में अंग्रेजों ने क्रूरता की थी. इसमें सैकड़ों आदिवासियों की शहादत को लेकर इन्हें हर साल याद किया जाता है और यहां मेला का आयोजन किया जाता है. जिस स्थल पर अंग्रेज सिपाहियों ने सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था, वहां 110 फीट ऊंचा एक विशाल स्तंभ का निर्माण किया गया है.
जब सभास्थल पर अंग्रेजों ने बरसानी शुरू कर दीं गोलियां
बताया जाता है कि भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1899 को अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. इस सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभास्थल को चारों ओर से घेर लिया. अंग्रेजों ने सभास्थल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किया. इस गोलीबारी के बीच बिरसा मुंडा किसी तरह से निकलने में सफल रहे, लेकिन सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गये. इस हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की याद में यहां हर साल 9 जनवरी को मेला लगाया जाता है.
Also Read: Jharkhand Foundation Day 2022: लातेहार के ललमटिया डैम की खूबसूरती पर्यटकों को करती है आकर्षित
शहीदों में से सिर्फ 6 ही हो सके हैं चिह्नित
डोंबारी बुरू में शहीद हुए सैकड़ों आदिवासियों में से अब तक सभी की पहचान नहीं हो पायी है. शहीद हुए लोगों में मात्र 6 लोगों की ही पहचान हो सकी है. इनमें गुटूहातू के हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, बरटोली के सिंगराय मुंडा, बंकन मुंडा की पत्नी, मझिया मुंडा की पत्नी और डुंगडुंग मुंडा की पत्नी शामिल हैं.