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Jharkhand News: झारखंड में जुमे के दिन सरकारी स्कूल तो खुले, लेकिन नहीं आए बच्चे, ग्रामीणों ने कही ये बात

Jharkhand News : शिक्षा विभाग के निर्देश पर शिक्षकों ने झारखंड के जामताड़ा में शुक्रवार को स्कूल तो खोला, लेकिन एक भी बच्चा नहीं आया. कई स्कूलों में जबरन लिखे गए उर्दू शब्द को ग्रामीण हटाने भी नहीं दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि शुक्रवार को जुम्मे का दिन होता है. बच्चे स्कूल नहीं जायेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2022 7:27 PM

Jharkhand News : झारखंड के जामताड़ा में शुक्रवार को जुमे के दिन साप्ताहिक अवकाश करने व रविवार को स्कूल खोलने का मामला जैसे ही चर्चा में आया. शिक्षा विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए और उर्दू विद्यालय छोड़ बाकी को शुक्रवार को स्कूल खोलने का निर्देश दिया गया. स्कूल में जबरन उर्दू शब्द को मिटाने का भी निर्देश दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. शिक्षा विभाग के निर्देश पर शिक्षकों ने शुक्रवार को स्कूल तो खोला, लेकिन एक भी बच्चा नहीं आया. कई स्कूलों में उर्दू शब्द को ग्रामीण हटाने भी नहीं दे रहे हैं.

स्कूल के नाम में जबरन जोड़ दिया उर्दू

शिक्षा विभाग के निर्देश पर जामताड़ा में अब तक मात्र दो तीन (यूएमस बरमुंडी, उच्च विद्यालय विराजपुऱ, नवीन प्राथमिक विद्यालय जिलिमटांड़- बारादाहा आदि) स्कूलों में ही उर्दू शब्द को स्कूल के नाम से हटाया गया है. इधर, विभाग के निर्देश से ग्रामीण नाराज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि शुक्रवार को जुम्मे का दिन होता है. बच्चे स्कूल नहीं जायेंगे. गौरतलब है कि करमाटांड़, नारायणपुर प्रखंड के 41 स्कूलों में शुक्रवार को जुम्मे को लेकर छुट्टी रहती है. इतना ही नहीं इन 41 स्कूलों की दीवारों में स्कूल के नाम के आगे उर्दू शब्द भी लिख दिया गया है, जबकि सरकारी आंकड़े में ये सभी स्कूल उर्दू स्कूल नहीं हैं. ग्रामीणों ने मनमानी कर उर्दू शब्द जोड़ दिया है. जामताड़ा जिले में मात्र चार ही उर्दू विद्यालय हैं. इनमें जामताड़ा प्रखंड के मध्य विद्यालय धनबाद उर्दू, करमाटांड़ प्रखंड के मध्य विद्यालय करमाटांड़ उर्दू, उत्क्रमित मध्य विद्यालय नवाडीह उर्दू शामिल हैं.

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स्कूल शुक्रवार को खोले गए, तो भी नहीं आए बच्चे

प्रभात खबर की टीम ने जब शुक्रवार को करमाटांड़ प्रखंड के विभिन्न स्कूलों की पड़ताल की, तो पाया कि शुक्रवार को प्राथमिक विद्यालय ऊपर भीठरा समय से खुल गया था. स्कूल में दो शिक्षक बैठे हुए थे. स्कूल में एक भी बच्चा नहीं था. यहां 375 बच्चे नामांकित हैं. प्रधानाध्यापक मोहन दास अपना कामकाज निबटा रह थे. सचिव से जब स्कूल में बच्चे नहीं आने की बात पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि डीएसई के निर्देश पर स्कूल समय से खोला गया है, लेकिन जुमे की बात कह कर एक भी बच्चा स्कूल नहीं आया. प्रावि ऊपर भीठरा के आगे उर्दू शब्द को अब तक नहीं मिटाने को लेकर कहा कि ग्रामीण इसे मिटाने नहीं दे रहे हैं. प्रावि ऊपर भीठरा में लॉकडाउन के बाद स्कूल खुला तब से प्रार्थना नहीं होती है.

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स्कूल के नाम में जबरन जोड़ दिया उर्दू

उमवि अलकचुवां में सभी पांच शिक्षक बैठे हुए थे, लेकिन यहां भी बच्चे नहीं आए, जबकि यहां 310 बच्चे नामांकित हैं. यहां भी स्कूल के नाम के आगे उर्दू शब्द को जोड़ा गया है. जिसे नहीं मिटाया गया है. प्रधानाध्यापक राजकिशोर दास ने बताया कि शुक्रवार को स्कूल खोलने पर बच्चे नहीं आए. पूर्व से ही स्कूल के नाम के आगे उर्दू शब्द लिखा गया है, जिसे ग्रामीण मिटाने नहीं दे रहे हैं.

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विद्यालय प्रबंधन समिति का नहीं हो सका गठन

शिक्षा विभाग के निर्देश पर डीएसई ने इन 41 विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति को भंग कर दिया है. शुक्रवार को विप्रस का गठन करने का निर्देश था. जिसके लिए इन स्कूलों में पर्यवेक्षक गए, लेकिन प्रबंधन समिति का गठन नहीं हो सका. अलकचुवां गये पर्यवेक्षक अमरनाथ दास ने बताया कि सुबह कई ग्रामीण आए और बैठक में भाग नहीं लेने की बात कह कर वापस चले गए. शिक्षा विभाग की लापरवाही का खुलासा इस बात से हुआ कि शुक्रवार को स्कूल बंद करने व रविवार को स्कूल खुलने वाले स्कूलों में शिक्षक रविवार को बायोमैट्रिक से उपस्थिति दर्ज कराते थे. इसके बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगी थी.

रिपोर्ट : उमेश कुमार, जामताड़ा

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