राज्यपाल रमेश बैस ने विद्यार्थियों का बढ़ाया हौसला, कहा- हमेशा सीखने की इच्छा और लालसा होनी चाहिए
सरायकेला के गम्हरिया स्थित अरका जैन यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रमेश बैस शामिल हुए. इस दौरान विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि हमेशा सीखने की इच्छा और लालसा होनी चाहिए.
Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया में अरका जैन यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने शिरकत की. इस दौरान जहां उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों, पदक विजेताओं और शोधकर्ताओं को बधाई दिया, वहीं विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करते हुए हमेशा सीखने की इच्छा और लालसा होने पर जोर दिया.
उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के लिए आज का दिन विशेष
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के लिए आज का दिन विशेष तो है ही, अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणादायी है, क्योंकि उनको यह दिन अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए और भी प्रेरित करेगा और उनमें नयी ऊर्जा भरेगा. कहा कि दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक पड़ाव होता है. विद्यार्थियों को उपाधि लेना ही आपके जीवन का मकसद नहीं होना चाहिए. उनके जीवन में सही दृष्टिकोण के साथ सही राह का भी चयन करना बहुत जरूरी है. विद्यार्थियों को जीवन के कर्म-क्षेत्र में प्रवेश कर अपनी दक्षता एवं परिश्रम से अपनी पहचान और उत्कृष्टता स्थापित करनी है.
नारी शिक्षा के शुभ संकेत
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि ज्ञान का उपयोग करते हुए सदा अपने कर्मों से स्वयं के साथ अपने समाज का भी नाम रौशन करें, क्योंकि यह आपका एक सामाजिक दायित्व भी है. आपको सामाजिक मुद्दों को विवेकपूर्ण तरीके से देखने की जरूरत है. कहा कि इस यूनिवर्सिटी में करीब 35 से 40 प्रतिशत लड़कियां हैं जो नारी शिक्षा के संदर्भ में शुभ संकेत है. आज के दीक्षांत समारोह में कुल 31 स्वर्ण पदक प्रापकों में से 20 छात्राएं हैं जो नारी सशक्तीकरण का एक सुखद उदाहरण है. कहा कि यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि आज हमारी बेटियां उच्च शिक्षा हासिल करने के प्रति बहुत जागरूक हो रही हैं और उत्कृष्ट प्रदर्शन भी कर रही है.
Also Read: जमशेदपुर में पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली मामले में मंत्री बन्ना गुप्ता ने लिया संज्ञान, DC को निर्देशशिक्षा की गुणवत्ता पर जोर
राज्यपाल ने कहा कि देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति अनेक महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर होती है जिसमें शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. उच्च और उत्तम शिक्षा न केवल एक विद्यार्थी की जीविकोपार्जन अथवा आजीविका की संभावनाओं को तय करती है, बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी दिशा देती है. जब व्यक्ति कुशल, कर्मठ एवं दक्ष हो जाए तब जाकर वह संसाधन के रूप में माना जाता है और तब उसके कार्यों से परिवार, समाज और देश लाभान्वित होता है. कहा कि देश में उच्च शिक्षा के दायरे का काफी विस्तार हुआ है और आज हमारे शिक्षण संस्थानों में पहले से कहीं अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. लेकिन, हमें जिस बात पर अब भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वह है शिक्षा की गुणवत्ता.
विश्व कल्याण में हम निभा सके महती भूमिका
उन्होंने कहा कि उपाधियों के साथ कौशल विकास के हर एक पहलू में युवा शक्ति अपनी सहभागिता निभा सके और देश के विकसित होने की दिशा में नये आयाम जुड़ सके. कहा कि ज्ञान को प्रायोगिक रूप में उपयोग करने में हमें सक्षम होना होगा, ताकि यह शताब्दी हमारी हो और विश्व कल्याण में हम भारतीय भी अपनी महती भूमिका निभा कर गर्व महसूस करें. साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान का दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना, उन्हें डिग्रियां बांटना तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उनमें जीवन में बेहतर करने की ललक जगाना, उनकी प्रतिभा को निखारना और उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास पर जोर देना होना चाहिए.