Jharkhand News: झारखंड के लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में प्रस्तावित बनहरदी कोल ब्लॉक से प्रभावित हो रहे बारी पंचायत के कुछ लोगों ने पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र का हवाला देते हुए ग्राम सभा के बाद पारंपरिक रीति रिवाज से पूजन कर पंचायत की सीमा पर बोर्ड लगा दिया है. रीति रिवाज से पूजा भेंगराज पाहन व नरेश पूजार ने संपन्न करायी. ग्राम सभा ने पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र का हवाला देते हुए गांव में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी है. बारी गांव के प्रवेश मार्ग के अलावा सीमाने पर ऐसे कुल पांच बोर्ड लगाये गये हैं. प्रखंड में बनहरदी कोल ब्लॉक की शुरूआत होनी है. यह कोल ब्लॉक एनटीपीसी कंपनी के नाम है. इससे बनहरदी के अलावा बारी, एटे, छातासेमर, डडैया, बरवाडीह समेत अन्य गांव प्रभावित हो रहे हैं. इस कोल ब्लॉक को लेकर पूर्व से ही स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जा रहा है.
क्या लिखा है बोर्ड में
बारी पंचायत के सीमाने पर लगे बोर्ड में लिखा गया है कि पाहन-पूजेर की मौजूदगी में पूजन के बाद बोर्ड लगाया गया है. बोर्ड में जय जजमेंट, जय आदिवासी, जय जोहार अंकित है. भारत का संविधान ग्राम सभा बारी में सर्वशक्ति संपन्नता, दिनांक 21 जुलाई 2022 दिन गुरुवार लिखा गया है. आगे कहा गया है कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में लागू विधि के तहत भारत का संविधान अनुच्छेद 13(3)(क) के तहत रूढ़ी प्रथा ही विधि का बल है यानी संविधान की शक्ति है. अनुच्छेद 19 (5) के तहत पांचवीं अनुसूचित जिलों या क्षेत्रों में कोई भी बाहरी, गैर रूढ़ी प्रथा व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से भ्रमण करना, निवास करना, बसना, घूमना-फिरना वर्जित है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (6) के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति को पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में व्यवसाय, कारोबार, रोजगार पर प्रतिबंध है. पांचवीं अनुसूचित जिलों में भारत का संविधान अनुच्छेद 244 (1) भाग (ख) के तहत संसद या विधान मंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है.
बारी व बनहरदी में ग्राम सभा का हुआ था विरोध
आपको बता दें कि इसी माह एफआरए को लेकर वनाधिकार समिति व ग्रामीणों को लेकर अंचल कार्यालय की पहल पर बारी व बनहरदी गांव में ग्राम सभा आयोजित की गयी थी. इन दोनों गांवों में ग्राम सभा का जमकर विरोध किया गया था. बनहरदी में मामला काफी तूल पकड़ चुका था. यहां ग्राम सभा करने पहुंचे अंचल निरीक्षक, राजस्व कर्मचारी के अलावा कंपनी के लोगों को जबरन जमीन पर बैठने को मजबूर कर दिया गया था. अंतत: करीब तीन घंटे बाद दूसरी बार कभी इधर नहीं आने संबंधी बॉन्ड लिखवाकर उन्हें वापस भेजा गया था.
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रिपोर्ट : सुमित कुमार, चंदवा, लातेहार