धनबाद में जमींदोज हुई महिलाओं का मामला : शवों के साथ नियोजन और मुआवजा की मांग पर अड़े ग्रामीण, धरना जारी

ग्रामीणों की मांग थी कि धरनास्थल पर बीसीसीएल अधिकारियों को बुलाकर बात की जाये. हालांकि बीसीसीएल अधिकारी धरनास्थल पर आने को तैयार नहीं थे. एसडीएम के काफी समझाने के बाद ईस्ट बसुरिया ओपी में वार्ता किये जाने पर ग्रामीण तैयार हुए.

By Prabhat Khabar News Desk | September 20, 2023 12:21 PM
an image

गोंदूडीह खास कुसुंडा कोलियरी अंतर्गत छोटकी बौआ धोबी कुल्ही के समीप ट्रांसपोर्टिंग मार्ग पर शवों के साथ ग्रामीणों का आंदोलन दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रहा. इस मार्ग पर रविवार को तीन महिलाएं जमींदोज हो गयी थीं. रेस्क्यू के बाद तीनों के शव निकाले जाने पर ग्रामीण आंदोलित हो गये थे. घटनास्थल के समीप तिरपाल डाल व छावनी देकर धरना पर बैठ गये थे. तीनों महिलाओं के शव एसी वाहन में रखे गये हैं. ग्रामीण भू-धंसान प्रभावित छोटकी बौआ बस्ती के लोगों के पुनर्वास, मृत महिलाओं के आश्रित को बीसीसीएल में नौकरी देने तथा मुआवजा भुगतान की मांग कर रहे हैं. मंगलवार की सुबह एसडीएम उदय रजक बाघमारा बीडीओ सुनील कुमार प्रजापति, अंचलाधिकारी रवि भूषण प्रसाद के साथ धरनास्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों से वार्ता की. इस दौरान ग्रामीणों की मांग थी कि धरनास्थल पर बीसीसीएल अधिकारियों को बुलाकर बात की जाये. हालांकि बीसीसीएल अधिकारी धरनास्थल पर आने को तैयार नहीं थे. एसडीएम के काफी समझाने के बाद ईस्ट बसुरिया ओपी में वार्ता किये जाने पर ग्रामीण तैयार हुए.

घर-आंगन में पड़ी दरार, खतरे में है जान

बाघमारा प्रखंड की बौआकला दक्षिण पंचायत की छोटकी बौआ धोबी कुल्ही बस्ती में भू-धंसान से यहां के घरों में दरार पड़ गयी है. बस्ती के बीचों-बीच छोटे नाले की तरह जमीन खतरनाक रूप से फटी हुई है. मकान के अंदर कमरों की दीवार भी फट गयी है, कई घरों के आंगन में एक फीट जमीन फटी दिखेगी. लोग लकड़ी का पटरा रखकर आवागमन करते हैं. बस्ती में रहनेवाले दहशत की जिंदगी जी रहे हैं. गांव के दक्षिण ओर तकरीबन 100 फीट पर ट्रांसपोटिंग रोड है, जहां महिलाएं जमींदोज हो गयी थीं.

रोड के नीचे आउटसोर्सिंग का कार्य चल रहा है. तकरीबन खनन स्थल की गहराई करीब 500 फीट है. लोगों का कहना है कि बस्ती से सटे गहरी खाई होने के कारण भू-धंसान हो रही है. इस बस्ती में रजक समुदाय लोग रहते हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि वे लोग 1908 के खतियानी हैं. इस गांव में 146 घर थे, जिसकी आबादी तकरीबन 550 थी. भू-धंसान व डेंजर जाेन में रहे 30 घरों को बीसीसीएल प्रबंधन ने क्वार्टरों में शिफ्ट करा दिया है. अभी भी 116 घर शेष हैं. गांव में भू-धंसान के कारण बोरिंग में पानी का लेयर नहीं है. बस्ती से कुछ दूर कोलडंप में निजी बोरिंग है, जहां से पैसा लेकर पाइपलाइन से जलापूर्ति की जाती है. गांव की बगल में एक तालाब है, जिसमें यहां के लोग नहाने-धोने के लिए मजबूर हैं. गांव के लोगों का कहना है कि बीसीसीएल प्रबंधन पुनर्वास नहीं कर रहा है.

Also Read: धनबाद : गोफ में समायीं 3 महिलाओं का शव 36 घंटे बाद निकाला गया, मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन शुरू

घंटों चली वार्ता, नहीं निकल सका नतीजा

ईस्ट बसुरिया ओपी परिसर में ग्रामीण, बीसीसीएल प्रबंधन तथा प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में त्रिपक्षीय वार्ता हुई. घंटों चली वार्ता विफल हो गयी. वार्ता में एसडीएम उदय रजक, बाघमारा एसडीपीओ निशा मुर्मू, बाघमारा बीडीओ, बाघमारा सीओ, कतरास अंचल इंस्पेक्टर पंकज कुमार झा, गोंदूडीह ओपी प्रभारी कुंदन कुमार, ईस्ट बसुरिया ओपी प्रभारी उपेंद्र कुमार, बीसीसीएल से कुसुंडा जीएम वीके गोयल, एजीएम प्रणब दास, क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक वेद प्रकाश, परियोजना पदाधिकारी बीके झा, धनसार परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार सिंह और ग्रामीणों की ओर से जिप सदस्य मो. इसराफिल, पूर्व मुखिया मो. आजाद, महेश रजक, पंचायत समिति सदस्य राजू रजक, शेखर सिंह आदि शामिल थे.

Also Read: धनबाद में जमींदोज हुई तीन महिलाओं का शव 36 घंटे बाद निकाला गया, देखें VIDEO

Exit mobile version