राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि पिछले दिनों चाईबासा में सात आदिवासियों एवं अमर शहीद सिदो-कान्हू के छठे वंशज की हत्या कर दी गयी थी, जो प्रदेश में अपराधियों के बढ़े मनोबल को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पुलिस ने जयवर्धन सिंह का हथियार जब्त कर लिया था, लेकिन चुनाव समाप्त हो जाने के बाद कई बार जयवर्धन सिंह ने पुलिस को आवेदन दे कर हथियार रिलीज करने की बात कही, लेकिन उन्हें हथियार नहीं वापस किया गया.
राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा नेता की हत्या के पीछे पुलिस और अपराधियों की संलिप्तता है. उन्होंने कहा कि घटना की सीबीआइ जांच नहीं करायी गयी तो भाजपा लातेहार से लेकर राजधानी तक आंदोलन करेगी
लातेहार के भाजपा नेता जयवर्धन सिंह की हत्या की खबर सुनकर बरवाडीह पहुंचे चतरा सांसद सुनील सिंह ने भी इस हत्या की निंदा की. उन्होंने भी इस घटना की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है और ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है.
वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशासन के निर्देश पर भाजपा नेता जयवर्धन सिंह ने अपना लाइसेंसी हथियार बरवाडीह थाने में जमा कराया था. चुनाव के बाद जयवर्धन सिंह ने पुलिस अधीक्षक, लातेहार व बरवाडीह थाना को आवेदन दे कर उनके द्वारा जमा कराये गये हथियार को वापस करने की मांग की थी, लेकिन पुलिस ने उनका हथियार वापस नहीं किया.
बरवाडीह पुलिस का कहना है कि छिपादोहर थाना में नक्सलियों को विस्फोटक पहुंचाने को लेकर एक मामला जयवर्धन सिंह पर दर्ज किया गया था और इस मामले में पुलिस का अनुसंधान जारी है. इसी का हवाला देकर बरवाडीह पुलिस ने जयवर्धन सिंह के लाइसेंसी हथियार को वापस नहीं किया. इसकी जानकारी उनके दुश्मनों को भी थी.
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रविवार (5 जुलाई) को जिस समय जयवर्धन सिंह को गोली मारी गयी थी, उस समय वे निहत्थे थे. लोगों का कहना है कि अगर उनके पास हथियार रहता तो शायद अपराधी इतने निर्भीक हो कर उनकी हत्या कर फरार नहीं हो पाते. मृतक के छोटे भाई हर्षवर्धन सिंह ने कहा कि बरवाडीह पुलिस ने छिपादोहर थाना में जयवर्धन सिंह पर दर्ज एक मामला को आधार बना कर उनका हथियार वापस नहीं लौटाया.
Posted By : Guru Swarup Mishra