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गिरफ्तारी से पहले भी कोलकाता आये थे झारखंड के वकील राजीव कुमार, फोन कॉल्स खंगाल रही पुलिस

अमित के अतिरिक्त कोलकाता के अन्य किसी को धमकी देकर उससे रुपये वसूलने जैसे किसी दूसरे मामले में आरोपी वकील की संलिप्तता थी या नहीं, यह पता लगाने पर भी बल दिया जा रहा है. इसके लिए उनके फोन कॉल्स को खंगाला जा रहा है...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2022 4:20 PM

कोलकाता: कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में स्थित एक शॉपिंग सेंटर से विगत रविवार की शाम गिरफ्तार किये गये रांची के वकील राजीव कुमार को हिरासत में लेने के बाद उनसे पूछताछ में अधिकारियों को कुछ अहम जानकारियां मिली हैं. पुलिस सूत्र बता रहे हैं कि जांच के क्रम में पता चला है कि राजीव कुमार अपनी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले भी कोलकाता आये थे. इस दौरान वह कोलकाता में कुछ लोगों से मिले थे. इनमें उनके खिलाफ शिकायत करने वाले व्यवसायी अमित अग्रवाल भी शामिल हैं.

पुलिसिया पूछताछ में शामिल अफसर यह पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं कि राजीव कुमार कोलकाता में किन-किन लोगों के संपर्क में थे. यह भी कि इस मामले में शिकायतकर्ता अमित अग्रवाल से उन्होंने कब-कब और कितनी बार बात की.

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गिरफ्तार वकील के खिलाफ सबूत जुटा रही पुलिस

अमित के अतिरिक्त कोलकाता के अन्य किसी को धमकी देकर उससे रुपये वसूलने जैसे किसी दूसरे मामले में आरोपी वकील की संलिप्तता थी या नहीं, यह पता लगाने पर भी बल दिया जा रहा है. इसके लिए उनके फोन कॉल्स को खंगाला जा रहा है, ताकि गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ और सबूत जुटाया जा सके. पुलिस सूत्रों का कहना है कि अगर अमित अग्रवाल के अलावा आरोपी वकील के संपर्क में रहे किसी और व्यक्ति का नाम जांच में सामने आता है, तो उससे भी पूछताछ की जायेगी.

जांच में सहयोग नहीं कर रहे राजीव कुमार

उधर, राजीव कुमार से पूछताछ में जांच अधिकारियों को पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है. पता चला है कि पूछताछ के दौरान आरोपी वकील अधिकतर सवालों के जवाब में ‘नहीं जानता’ या ‘पता नहीं’ जैसे जवाब दे रहे हैं. हालांकि, उनके खिलाफ पुलिस को हाथ लगे सबूत दिखाने पर वह चुप्पी साध ले रहे हैं.

हिरासत अवधि बढ़वा सकती है पुलिस

संकेत है कि अगली बार आरोपी की पेशी के दौरान जांचकर्ता पूछताछ में असहयोग की बात कोर्ट के सामने भी रख सकते हैं, ताकि आवश्यकतानुसार उनकी हिरासत की अवधि बढ़वायी जा सके. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आरोपी वकील की शेष बची हिरासत अवधि में जांचकर्ताओं को पूछताछ में कितनी सफलता मिलती है.

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