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Jharkhand Lockdown की मार, गढ़वा में भूखे पेट सो रहे मुसहर जाति के 6 परिवार

jharkhand lockdown forced musahar families to sleeps without meal in garhwa district of jharkhand खरौंधी : झारखंड समेत पूरे देश में लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार यदि किसी को पड़ी है, तो वो हैं गरीब और पिछड़ी जाति के लोग. गढ़वा जिला में मुसहर जाति के 6 परिवार के दो दर्जन लोग भूखे पेट सोने के लिए विवश हैं. मामला खरौंधी प्रखंड के बैतरी मोड़ की है. मुसहर जाति के ये सबी लोग लगभग 15 वर्षों से बैतरी मोड़ के पास जंगल में रह रहे हैं. भीख मांग कर गुजर-बसर करते रहे हैं.

अभिमन्यु

खरौंधी : झारखंड समेत पूरे देश में लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार यदि किसी को पड़ी है, तो वो हैं गरीब और पिछड़ी जाति के लोग. गढ़वा जिला में मुसहर जाति के 6 परिवार के दो दर्जन लोग भूखे पेट सोने के लिए विवश हैं. मामला खरौंधी प्रखंड के बैतरी मोड़ की है. मुसहर जाति के ये सबी लोग लगभग 15 वर्षों से बैतरी मोड़ के पास जंगल में रह रहे हैं. भीख मांग कर गुजर-बसर करते रहे हैं.

देश भर में कोरोना वायरस की वजह से घोषित 21 दिन के लॉकडाउन के कारण मुसहर जाति के इन लोगों को कोई भीख भी देने के लिए तैयार नहीं है. जहां भी ये जाते हैं, वहां तिरस्कार ही झेलना पड़ता है. गांव के लोगों को डर है कि कहीं इनकी वजह से वे कोरोना वायरस की चपेट में न आ जायें.

मुसहर समाज के लोगों का कहना है कि उनके पास चावल, आटा, सब्जी आदि का कोई स्टॉक नहीं है. हर दिन मांगकर लाते हैं और उसी को बनाकर खाते हैं. लेकिन, अब स्थिति अलग है. जहां भी भीख मांगने जाते हैं, वहां से लोग डांटकर भगा देते हैं. इस बुरे वक्त में भी कुछ दयालु लोग हैं, जो कभी-कभार चावल आदि दे देते हैं. जिस दिन कुछ मिल गया, उस दिन भोजन मिल जाता है, वरना भूखे पेट सो जाते हैं.

इन लोगों ने बताया कि तीन दिन में महज तीन बार नून-भात खा पाये हैं. बाकी दिन खाली पेट ही सोना पड़ रहा है. मजबूरी है. कुछ कर भी नहीं सकते. सुकुंती कुंवर, तेजू मुसहर, उदय मुसहर, जयकुमार मुसहर,गुड्डू मुसहर, धर्मेंद्र मुसहर व अन्य ने बताया कि 15 वर्ष से बैतरी मोड़ पर स्थित जंगल में रह रहे हैं. आज तक कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली.

उन लोगों ने बताया कि पिछले वर्ष खरौंधी के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) एजाज आलम ने प्रखंड कार्यालय में बुलाया था. आधार कार्ड बनाने के लिए फोटो भी लिया गया, लेकिन आधार कार्ड आज तक नहीं मिला. इनका कहना है कि 6 परिवार के करीब दो दर्जन लोग, जिनमें छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, पेड़ के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं. इस वर्ष लगातार बारिश में हम और हमारे बच्चे भींगते रहे.

गुड्डू मुसहर ने बताया कि मधु (शहद) छुड़ाने के दौरान पेड़ से गिर गये. माथा फट गया. पैसा नहीं है, इसलिए इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. इस संबंध में अंचल अधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी सिद्धार्थ शंकर यादव से पूछने पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार को तत्काल 60-60 किलो चावल भिजवा दिया जायेगा. इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए इनका आधार कार्ड भी बनवाया जायेगा.

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