Jharkhand news: पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत पोड़ाहाट क्षेत्र के सोनुवा एवं गोइलकेरा जंगल क्षेत्रों में सक्रिय पीएलएफआई संगठन का दो लाख रुपये का इनामी कुख्यात नक्सली और एरिया कमांडर मंगरा लुगुन के जिला पुलिस और सुरक्षा बल के साथ हुई मुठभेड़ में गुरुवार की सुबह करीब 6:30 बजे मारे जाने की खबर है. उसके शव को गोइलकेरा लाया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, जिला पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवान पीएलएफआई नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे. इसी बीच लेपा और रेडा जंगल के बीच पीएलएफआई दस्ते के साथ जिला पुलिस और सीआरपीएफ जवानों के साथ मुठभेड़ हो गया, जिसमें मंगरा लुगुन मारा गया.
पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा ने बताया कि मुठभेड़ में मंगरा लुगुन के मारे जाने की संभावना है. पहचान के बाद यह पुष्टि हो पाएगी कि कौन कौन मारा गया है. गौरतलब है कि पीएलएफआई एरिया कमांडर मगरा लुगुन अपने दस्ते के साथ हाल ही में हुए मुठभेड़ में भी शामिल था. उस समय इस दस्ते को पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप लीड कर रहा था और 3 दिनों तक पुलिस एवं सुरक्षा बलों की घेराबंदी के कारण भागता रहा था.
वहीं मंगरा लुगुन अपने दस्ते के साथ जंगल में छिपा हुआ था. हालांकि सूत्रों अनुसार पुलिस नक्सली कमांडर मंगरा लुगुन का शव जंगल से लेकर आने में लगी है. उल्लेखनीय है कि मंगरा पुलिस के विशेष निशाने पर था. मंगरा लुगुन के साथ आधा दर्जन नक्सली रहते हैं.
वह गोइलकेरा थाना क्षेत्र के सारुगाड़ा जंगल में पिछले कुछ दिनों से निरंतर सक्रिय था. उसका मुख्य उद्देश्य विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले ठेकेदारों, हब्बा-डब्बा जैसे जुआ खेल कराने वाले संचालकों, बालू घाट संचालकों आदि को डरा-धमका कर लेवी वसूलना और वह हत्या जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते रहना था. सूत्रों के जानकारी के अनुसार गोइलकेरा व पश्चिम सिंहभूम की विभिन्न थानों की पुलिस मंगरा लुगुन की तमाम गतिविधियों पर निरंतर नजर बनायी हुई थी
सूत्रों का कहना है कि बीते महीने गोइलकेरा थाना अंतर्गत हब्बा-डब्बा जुआ खेल का संचालक दलकी गांव निवासी चन्द्रमोहन तिर्की की गोली मारकर हत्या मंगरा लुगुन के इशारे पर ही उसके दस्ते के लोगों ने कर दिया था. चन्द्रमोहन दलकी गांव में हब्बा-डब्बा जुआ का संचालन व बालू का कारोबार भी करता था लेकिन उसने मंगरा लुगुन को लेवी नहीं दिया था.
इसके अलावा इस गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कायदा गांव के समीप लगने वाले साप्ताहिक हाट में भी हब्बा-डब्बा का संचालन होता था, जहां पूर्व में पुलिस ने छापेमारी की थी. इसके संचालकों से मंगरा लुगुन लेवी उगाही करता था. इस छापेमारी के बाद मंगरा को लगा कि चन्द्रमोहन के कहने पर ही पुलिस ने यहां छापेमारी की है, जिससे उन्हें लेवी मिलना बंद हुआ.
दूसरी तरफ, भरडीहा बालू घाट के संचालकों से भी मंगरा हर माह 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की लेवी वसूलता था. पुलिस की टीम ने उसे दबोचने का प्रयास की, लेकिन वह इतना शातिर था कि स्वयं बालू घाट पर नहीं पहुंच सारुगाड़ा क्षेत्र में शरण लेकर वहां से अपने लोगों को लेवी का पैसा लेने भेज देता था.
Posted by : Sameer Oraon