Municipal Election 2022: अपने-अपने समाज की नब्ज टटोलने में लग गये गिरिडीह में मेयर पद के दावेदार

झारखंड नगर निकाय का रोस्टर जारी होते ही चुनाव लड़ने को इच्छुक लोगों की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. गिरिडीह में मेयर पद अनारक्षित होते ही हर कोई ताल ठोंकना शुरू कर दिया है. अभी से लोग समाज के लोगों की नब्ज टटोलने में जुट गये हैं.

By Samir Ranjan | November 21, 2022 4:09 PM

Jharkhand Municipal Election 2022: अभी तक नगर निगम के चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मेयर पद के आरक्षण की अधिसूचना जारी होने के साथ ही कई राजनीतिक दलों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों में चुनाव लड़ने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है. गिरिडीह नगर निगम के मेयर का पद अनारक्षित घोषित किया गया है. यानि किसी भी जाति के महिला एवं पुरुष चुनाव लड़ सकते हैं. पिछली बार यह सीट अनुसूचित जाति (Scheduled Caste- SC) के लिए आरक्षित था.

समाज के लोगों की नब्ज टटोलने में लगे लोग

पिछड़े वर्ग के कई लोगों ने इस सीट को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की मांग भी की थी, लेकिन अनारक्षित होने के साथ ही विभिन्न जाति एवं समुदाय के लोग चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. एक ओर जहां अगड़ा-पिछड़ा वर्ग में बंटकर चुनाव लड़ने की बातें हो रही है, वहीं विभिन्न समाज के लोगों ने अलग-अलग बैठक कर या सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के लोगों का नब्ज टटोलने की कोशिश कर रहे हैं. कई समाजसेवी अपना नाम उछालकर इस बात का पता लगाने की कोशिश में लगे हुए हैं कि उन्हें समाज के लोगों का समर्थन मिलेगा या नहीं. कई लोग जहां हार-जीत को लेकर जातीय समीकरण का हवाला दे रहे हैं, वहीं कई लोग राजनीतिक दलों से भी समर्थन लेने का दावा कर रहे हैं. उनका प्रयास है कि उन्हें अपने का समाज समर्थन हासिल हो.  

गुपचुप तरीके से हो रही है समाज की बैठक

इस बार मेयर सीट अनारक्षित हो जाने से सवर्ण जाति के लोगों में चुनाव लड़ने की होड़ मची हुई है. कायस्थ समाज से कई लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की है. वहीं, भूमिहार, क्षत्रीय एवं ब्राह्मण समाज के लोग भी उम्मीदवार उतारने का मन बना रहे हैं. चुनाव लड़ने को लेकर इस बार मारवाड़ी समाज भी रेस में है. एक ही समाज के कई दावेदार के सामने आने से समाज के लोगों ऊहापोह की स्थित है. इसलिए समाज से एक नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है. अभी तक दावेदारों के रूप में जिनकी चर्चा हो रही है, उसमें मुस्लिम और मारवाड़ी समाज से लोग हैं. एक नाम पर सहमति बनाने के लिए मारवाड़ी समाज की कई बैठक हो चुकी है. इसके अलावा अन्य समाज के लोग भी गुपचुप  बैठक कर रहे हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से भी समाज का मिजाज जानने की कोशिश की जा रही है.

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बढ़ती जा रही है दावेदारों की संख्या

मेयर पद के दावेदारों की गतिविधियां अचानक तेज हो गयी है. अभी तक डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा लोगों के नाम की चर्चा चुनाव लड़ने की है. भाजपा नेता एवं गिरिडीह पर्षद के पूर्व अध्यक्ष दिनेश यादव, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश मोदी, नगर निगम के उप महापौर प्रकाश सेठ, कांग्रेस के नवीन चौरसिया, झामुमो के इरशाद अहमद वारिश, गौरव कुमार, शाहनवाज अंसारी, सईद अख्तर, सुमित कुमार, भाजपा के सुभाष चंद्र सिन्हा, संदीप डंगाइच, विजय सिंह, गिरिडीह डिस्ट्रिक्ट चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदीप अग्रवाल, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष विभाकर पांडेय, पत्रकार अरविंद कुमार, भाकपा माले के राजेश सिन्हा, बबलू भारद्वाज, रॉकी नवल, गुलाम सरवर, इश्तियाक अहमद, विकास सिन्हा, डॉ संजीव संजय, मुमताज आलम उर्फ मिस्टर समेत अन्य लोगों के नामों की चर्चा दावेदार के रूप में हो रही है.

कई लोग वेट एंड वाच की स्थिति में

एक ओर जहां कई लोगों ने विभिन्न माध्यमों से या तो अपनी दावेदारी पेश कर दी है या दूसरे के माध्यम से मेयर चुनाव लड़ने की सूची में अपना नाम भी डलवा दिया है. वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जिनके नाम की चर्चा अभी तक शुरू नहीं हुई है. ऐसे लोग वेट एंड वाच की स्थिति में हैं.  समाज की स्थितियों का आकलन किया जा रहा है. दूसरी ओर राजनीतिक दलों के रुख को भी पढ़ने की कोशिश की जा रही है. ऐसे लोग अभी चुनावी सरगर्मी को पर्दे के पीछे से रहकर देख रहे हैं.

भाजपा-झामुमो की बढ़ेगी परेशानी

नगर निगम के चुनाव का असर गिरिडीह विधानसभा के चुनाव पर पड़ने की आशंका को देखते हुए भाजपा और झामुमो की पैनी नजर चुनाव की सभी गतिविधियों पर रहेगी. एक ओर जहां एक ही पार्टी से कई लोगों के चुनाव लड़ने से भाजपा और झामुमो की परेशानी बढ़ेगी. दूसरी ओर, विभिन्न समाज के बड़े वोट बैंक पर पकड़ रखने वाले लोगों से समर्थन मांगे जाने पर भी पार्टी में असमंजस की स्थिति बन जायेगी. वर्तमान परिदृश्य में झामुमो की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ती दिख रही है. इस पार्टी से जुड़े कई लोगों ने मेयर का चुनाव लड़ने का मन बनाया है. वहीं, चुनाव लड़ने वाली सूची में कई ऐसे लोग भी हैं जो दल में तो नहीं रहे हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमो का साथ दिया था. भाजपा में भी दावेदारों के नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है. भाजपा के दिग्गज नेताओं का कहना है कि मेयर चुनाव को लेकर रणनीति बन रही है. पार्टी में किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से आवेदन लेकर किसी एक नाम पर सहमति बनाने का प्रयास किया जायेगा.

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रिपोर्ट : राकेश सिन्हा, गिरिडीह.

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