Jharkhand News, Ramgarh News, चितरपुर (सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार): रामगढ़ जिला अंतर्गत चितरपुर प्रखंड क्षेत्र में सौर जलमीनार निर्माण में व्यापक रूप से अनियमितता बरती गयी है. इस योजना के माध्यम से लाखों रुपये की हेराफेरी की गयी है. कार्यस्थल पर 14वें वित्त का बोर्ड लगाया गया है, लेकिन राशि की निकासी 15वें वित्त से की गयी है. यहां तक कई ड्राई जोन चापाकल में भी सोलर जलमीनार का निर्माण कर दिया गया है जबकि कई ऐसे चापाकल में सौर जलमीनार बनाया गया है, जहां एक बूंद भी पानी नहीं निकला.
रामगढ़ जिला स्थित चितरपुर प्रखंड क्षेत्र में 14वें वित्त आयोग से कुल 55 सौर जलमीनार का निर्माण किया गया है जबकि 15वें वित्त आयोग से मारंगमरचा में दो, मायल में दो सहित कई पंचायतों में सौर जलमीनार का निर्माण किया गया है. 15वें वित्त आयोग से तीन लाख 84 हजार 691 रुपये की लागत दिखायी गयी है जिसमें से मारंगमरचा तालाब के सामने बने सौर जलमीनार के लिए डेढ़ लाख रुपये की निकासी की गयी है.
मारंगमरचा पंचायत के सोंढ़ गांव के धर्मेंद्र सिंह के घर के सामने बने जलमीनार के लिए दो लाख रुपये की निकासी की गयी है, जबकि मायल पंचायत के ढठवाटांड़ में बने जलमीनार के लिए दो लाख एवं मुंडा टोला में बने जलमीनार के लिए दो लाख रुपये की निकासी की गयी है. जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि 15वें वित्त आयोग के तहत ढाई लाख रुपये से अधिक का योजना नहीं कराना है.
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मायल पंचायत के पटरिया टोला में 14वें वित्त आयोग से जलमीनार का निर्माण किया गया है. ग्रामीण कोलेश्वर महतो ने बताया कि यहां एक दिन भी पानी नहीं निकला है. मशीन भी पुराने लगाये हैं. इससे बेहतर तो हैंड चापाकल था जहां से लोग पानी भर कर ले जाते थे.
मारंगमरचा तालाब के समीप ड्राई जोन चापाकल में सौर जलमीनार का निर्माण कर दिया गया. ठेकेदार को इसकी जानकारी होने के बावजूद यहां सौर जलमीनार बनाया गया है. जिस कारण यहां पानी नहीं निकलता है. ग्रामीणों का कहना है कि इससे पूर्व चापाकल से दो-चार बाल्टी पानी लोगों को मिलता था. राहगीर भी पानी पी लेते थे, लेकिन अब यहां सूखा पड़ा रहता है.
बता दें कि यहां सौर जलमीनार निर्माण कार्य 15वें वित्त आयोग से कराया गया है, जबकि कार्यस्थल पर 14वें वित्त आयोग का बोर्ड लगाया गया है. इस बोर्ड में भी प्राक्कलन राशि और लाभुक समिति या ठेकेदार का जिक्र नहीं किया गया है.
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रजरप्पा प्रोजेक्ट के आवासीय कॉलोनी में भी सौर जलमीनार का निर्माण करा दिया गया है,, जबकि यहां के क्वार्टर में हर दिन नियमित रूप से CCL द्वारा पानी की सप्लाई की जाती है.
ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार एवं सप्लायर द्वारा एस्टीमेट का उल्लंघन करके सौर जलमीनार निर्माण का कार्य कराया गया है. सौर जलमीनार में पाइपिंग का काम GI कंपनी से किया जाना था, लेकिन सस्ता लोहा लगा दिया गया है. जिस कारण यहां जंग लगने लगे हैं. साथ ही स्टील टैप नल लगाना था, लेकिन कई जगह प्लास्टिक का नल लगा दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि कई जगहों में मोटर, सोलर प्लेट लगाने में भी अनियमितता बरती गयी है. कई जलमीनारों में प्राक्कलन बोर्ड भी नहीं लगाया गया है.
ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी हाल में जलमीनार निर्माण कार्य में डेढ़ लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं हुए होंगे, लेकिन यहां दो से तीन लाख रुपये की निकासी कर ली गयी है क्योंकि पूर्व में बने चापाकल में ही सौर जलमीनार लगाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी, तो लाखों रुपये घोटाले का मामला उजागर होगा.
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इस संदर्भ में बीडीओ उदय कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर सौर जलमीनारों में अनियमितता बरती गयी है, तो टीम गठन कर इसकी जांच करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में 15वें वित्त से तीन लाख 84 हजार 691 रुपये की लागत से बने सौर जलमीनार के लिए पूरी राशि की भुगतान नहीं होगी.
Posted By : Samir Ranjan.