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हजारीबाग के गौरियाकरमा में पशुपालन विभाग की जमीन पर बनेगा अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, जानें क्या है इसका इतिहास

हजारीबाग जिला प्रशासन ने झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के सचिव का हवाला देते हुए भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया की शुरुआत करने को कहा है. गौरियाकरमा में पशुपालन विभाग का 1780.56 एकड़ का प्रक्षेत्र था. इसमें से एक हजार एकड़ जमीन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दे दी गयी थी. करीब 780 एकड़ जमीन पशुपालन विभाग के पास है. बीएयू ने अपने हिस्से की जमीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को दे दी है. वहां भवन का निर्माण हो रहा है. यहां सैकड़ों एकड़ जमीन पर आसपास के लोगों ने कब्जा कर रखा है. इसको लेकर एक बार कार्रवाई भी शुरू गयी थी.

Jharkhand News, Hazaribagh News हजारीबाग : पशुपालन विभाग की जमीन एक बार फिर दूसरे काम के लिए लेने की तैयारी की जा रही है. हजारीबाग स्थित पशुपालन विभाग के गौरियाकरमा मॉडल फॉर्म (संयुक्त हिस्सा) में से 800 एकड़ जमीन की मांग अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए की गयी है. सरकार ने जमीन देने का निर्णय भी ले लिया है. इसी स्थान पर 300 एकड़ भूमि पर खाद्य प्रसंस्करण की इकाई लगाने का प्रस्ताव है. इसके लिए जमीन जियाडा को स्थानांतरित करना है.

हजारीबाग जिला प्रशासन ने झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के सचिव का हवाला देते हुए भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया की शुरुआत करने को कहा है. गौरियाकरमा में पशुपालन विभाग का 1780.56 एकड़ का प्रक्षेत्र था. इसमें से एक हजार एकड़ जमीन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दे दी गयी थी. करीब 780 एकड़ जमीन पशुपालन विभाग के पास है. बीएयू ने अपने हिस्से की जमीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को दे दी है. वहां भवन का निर्माण हो रहा है. यहां सैकड़ों एकड़ जमीन पर आसपास के लोगों ने कब्जा कर रखा है. इसको लेकर एक बार कार्रवाई भी शुरू गयी थी.

लेकिन, राजनीतिक दबाव में कब्जा नहीं हटाया गया. बाद में यहां अंचलाधिकारियों ने कई लोगों की जमीन की रसीद भी काट दी थी.

कांके में पशुपालन विभाग की जमीन पर बना दिया प्रखंड कार्यालय

कांके प्रखंड कार्यालय परिसर में पशुपालन विभाग की जमीन पर ही प्रखंड का मॉडल भवन बना दिया गया है.

यह जमीन पूर्व में पशुपालन विभाग के अनुमंडल कार्यालय परिसर में आता था. निर्माण करने से पूर्व पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. राजधानी में ही नामकुम में पशुपालन विभाग की जमीन पर प्रखंड कार्यालय बना दिया गया है.

पशुपालन विभाग की ही जमीन पर बना है खेलगांव

राजधानी स्थित खेलगांव परिसर पशुपालन विभाग की जमीन पर ही बना है. 72 एकड़ में खेलगांव बनाया गया है. वहीं 54 एकड़ में खेलगांव से जुड़ी कॉलोनियों का निर्माण किया गया है. पिछली सरकार में करीब 12 एकड़ जमीन एक कपड़ा बनाने वाली कंपनी को दे दी गयी थी.

इसका विरोध भी हुआ था. होटवार में पशुपालन विभाग की जमीन पर ही केंद्रीय कारा का निर्माण कराया गया है. होटवार में ही पशुपालन विभाग की जमीन पर संग्रहालय बना है. चतरा में पशुपालन विभाग के 1600 एकड़ के फॉर्म को भी निजी कंपनियों को देने की बात पूर्व की सरकार में की गयी थी. लातेहार में जिला पशुपालन पदाधिकारी के कार्यालय के पीछे अर्द्धसैनिक बलों का कब्जा है.

पूर्व सचिव ने मना किया था जमीन देने से

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की पूर्व सचिव पूजा सिंघल ने पशुपालन विभाग की खेलगांव स्थित जमीन कपड़ा कंपनी को देने से मना किया था. पूजा सिंघल द्वारा रोक लगाने के आदेश के बावजूद तत्कालीन निदेशक ने एक पत्र निकाल कर झारखंड राज्य इम्पीलमेंटिंग एजेंसी के गर्ल्स हॉस्टल वाली जमीन निजी कपड़ा बनाने वाली कंपनी को दे दिया था. होटवार स्थित पशुपालन विभाग का प्रक्षेत्र सिमट कर अब एक छोटे हिस्से में रह गया है.

पशुपालन विभाग की जमीन पर पशुपालन छोड़ दूसरा हर काम हो रहा है
कॉरिडोर के लिए 800 एकड़ जमीन लेने का प्रस्ताव

300 एकड़ खाद्य प्रसंस्करण इकाई के लिए भी मांगी गयी पशुपालन विभाग की जमीन पर सरकार की नजर है. इसका सरकार के समक्ष विरोध किया जायेगा. सरकार को सोचना चाहिए कि झारखंड के किसान और पशुपालकों के विकास के लिए काम हो रहा है. इससे पूर्व भी सरकार ने पशुपालन विभाग की जमीन पर खेलगांव बसा दिया. जेल बना दिया. इससे पशुपालन विभाग की स्कीम को नुकसान हो रहा है. सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.

डॉ धर्मरक्षित विद्यार्थी,

सचिव, पशु चिकित्सा सेवा संघ

कंपोजिट फॉर्म बनाने का प्रस्ताव दिया था विभाग ने

एनडीए की सरकार में यहां एक कंपोजिट फॉर्म बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. यहां मछली, गो पालन कराने की योजना थी. इसके लिए एनडीडीबी को जिम्मा दिया गया था. सरकार बदलने के बाद इसका प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा रह गया.

कोलेबिरा में बस अड्डा बनाने की योजना

सिमडेगा जिले के कोलेबिरा प्रखंड में पशुपालन विभाग के परिसर में बस अड्डा बनाने की योजना है. सिमडेगा जिला प्रशासन ने जिला पशुपालन पदाधिकारी को पत्र लिख कर कोलेबिरा स्थित प्रखंड पशुपालन कार्यालय से कागजात की मांग की है. जिला पशुपालन पदाधिकारी को अपर समाहर्ता ने जानकारी दी है कि पंजी-टू में प्रखंड स्तरीय पशुपालन कार्यालय के नाम पर जमाबंदी नहीं है. अगर विभाग के पास अधिग्रहण के संबंध में कोई कागजात है, तो जमा करने को कहा गया है. यहां बस पड़ाव सह मार्केटिंग काॅम्प्लेक्स का निर्माण प्रस्तावित है.

क्या है इतिहास

राज्य सरकार ने 1953 में तिलैया डैम के विस्थापितों को बसाने के लिए गौरियाकरमा में 1780 एकड़ जमीन ली थी. लेकिन, विस्थापित वहां नहीं बसे. बाद में यह जमीन डीवीसी ने ले ली. सरकार ने 1955 में डीवीसी से जमीन लेकर बिहार सरकार के पशुपालन विभाग को दे दी. इसके एवज में बिहार सरकार ने डीवीसी को राशि भी दी थी. धीरे-धीरे यहां की जमीन पशुपालन विभाग के हाथ से निकलती गयी. अभी एक हजार एकड़ में भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र बन रहा है.

100 एकड़ जमीन पूर्व की सरकार ने पशुपालन महाविद्यालय खोलने के लिए देने का प्रस्ताव रखा था. 50 एकड़ में एक पशुपालन स्कूल और राजकीय पशु प्रक्षेत्र चल रहा है. यहां रेड सिंधी नस्ल के गाय का पालन होता है. इसका जर्म प्लाज्म तैयार किया जाता है. इससे निकलने वाला ए-2 मिल्क 32 रुपये किलो के हिसाब से ग्रामीणों में बेचा जाता है. इसके अतिरिक्त यहां सांड़ पोषण प्रक्षेत्र और सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र भी है.

Posted By : Sameer Oraon

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