साहिबगंज, सुनील ठाकुर : साहिबगंज जिला मुख्यालय और राजमहल गंगा तट पर पितृ तर्पण के अंतिम दिन भारी भीड़ उमड़ पड़ी. अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में लोग शनिवार को गंगा तट पहुंचे और पूरे विधि विधान से दर्जनों पुरोहितों की उपस्थिति में पीठ तर्पण किया. गंगा तट में भीड़ अत्यधिक हो जाने पर स्थानीय नगर थाना पुलिस के द्वारा विधि व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया. सुबह 10:00 बजे तक लगभग 10 से 15 हजार लोगों ने गंगा स्नान किया.
लोगों ने गंगा स्नान कर स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना की. कई लोगों ने पक्षियों को भी अनाज के दाने खिलाए और अपने पूर्वजों को याद किया. कई लोगों ने पिंडदान भी किया.
पितर पंडित पंकज पांडेय ने कहा कि पितृपक्ष के समापन के साथ महालया भी शुरू होगा. मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में देवी-देवताओं के साथ पितरों का भी वास होता है. इस पेड़ में जल के साथ दूध व तिल मिला कर अर्पित करने से पितर भी तृप्त होते है.
इस बारे में आचार्य पंडित पंकज पांडेय ने बताया कि पितृपक्ष में खासतौर से पीपल का पेड़ लगाना चाहिए. इसके साथ ही बरगद, नीम, अशोक, बेल, तुलसी, आंवला और सम्मी का पेड़ लगाने से एक तरफ, जहां पर्यावरण को साफ रखने में मदद मिलती हैं, वहीं दूसरी ओर पितरों के साथ देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं.
वहीं पेड़-पौधे लगाने से पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है. इसमें जल देने से व्यक्ति दीर्घायु होता है. यह पेड़ मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है. बरगद को साक्षी मानकर माता सीता ने राजा दशरथ के लिए पिंड दान किया था.
अशोक का पेड़ लगाने से रोग व शोक का नाश होता है. पितरों को तृप्ति व मुक्ति मिलती हैं. यह पौधा घर के द्वार पर लगाना चाहिए. पीपल, पीपल के पेड़ में देवता व पितर वास करते हैं.
Also Read: महालया का क्या है महत्व, कैसे करें कलश स्थापना, किन चीजों की जरूरत..सब कुछ बता रहे बाबाधाम के पुरोहित