Jharkhand News (सलाउद्दीन, हजारीबाग) : TMC के राष्ट्रीय नेता सह पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि प्रजातंत्र में चुनाव युद्ध नहीं है. पक्ष-विपक्ष प्रजातंत्र के महत्वपूर्ण अंग है. केंद्र सरकार को प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करना चाहिए. दूसरे दलों से काफी नेता TMC में शामिल हो रहे हैं. ये लोग सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं कि बंगाल की जनता ममता बनर्जी को पसंद करती है. यशवंत सिन्हा ने प्रभात खबर से बंगाल की राजनीति, देश स्तर पर विपक्षी दलों की भूमिका और किसान आंदोलन पर लंबी बातचीत की.
सवाल : BJP और TMC में इतना टकराव क्यों है?
जवाब : प्रजातंत्र में चुनाव बराबर होंगे. इसमें कोई जीतेगा कोई हारेगा. चुनाव युद्ध नहीं है. आज क्या हो रहा है. भाजपा चुनाव को युद्ध के रूप में लेती है. भाजपा हार जाती है, तो उसके बाद हार स्वीकार नहीं करती है. जिससे हारती है उसे परेशान करती है. भाजपा पिछले बंगाल चुनाव के बाद भी भारत सरकार की पूरी ताकत लगा दिया था. ममता बनर्जी व उसके सरकार में शामिल लोगों को परेशान के लिए. प्रजातंत्र के लिए यह खतरनाक है. प्रजातंत्र कैसे चलेगा.
सवाल : बंगाल का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर क्यों चर्चित होता है ?
जवाब : पश्चिम बंगाल में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं. इसमें भाजपा इतना प्रायोजित धूल उड़ा रही है. इससे BJP में कौन-सा कमाल हो जायेगा. बंगाल में TMC की स्थिति काफी मजबूत है. कोई अप्रत्याशित घटना घटने वाली नहीं है. बाबुल सुप्रियो समेत कई भाजपा नेता TMC में शामिल हो रहे हैं. सारे लोग इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं. बंगाल में जनता ममता बनर्जी को चाहती है. भारत सरकार की कई एजेंसी बंगाल में लगा दिया जाय. कोई फर्क नहीं पडेगा.
सवाल : केंद्र सरकार के सरकारी एजेंसियों पर विपक्षी दल इतना उग्र क्यों?
जवाब : प्रदेश और केंद्र में अलग-अलग सरकार होंगे. चुनाव के बाद भाजपा की कारगुजारी से संघीय ढांचे तार-तार हो रहे हैं. संविधान के आधारभूत संरचना को नुकसान हो रहा है. मैंने भी वित्त मंत्रालय संभाला है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी के शासन में केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग करना तो दूर दिमाग में भी ऐसी बाते नहीं आती थी. अभी सरकार में बैठे लोग कैसे संदेश दे देते हैं. सारी एजेंसी का दुरूपयोग हो रहा है. सोनू सूद का दोष केजरीवाल से मिलना था. केजरीवाल उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाना चाह रहे थे. इसके बाद भाजपा ने ताबड़-तोड़ इनकम टैक्स का रेड करवा दिया. राजनीतिक फायदे के लिए सरकार शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है जो प्रजापतंत्र के लिए घातक है.
सवाल : विपक्षी दलों में एकता बन पायेगी?
जवाब : बंगाल की जनता की तरह देश की जनता भी निर्णय सुनायेगी. विपक्षी दल भाजपा के आर्थिक व एजेंसी की ताकत का मुकाबला करें. सर्वोत्तम के चक्कर में उत्तम को छोड़ना सही नहीं है. सभी विपक्षी दल एक साथ आयेंगे. तब शुरूआत करेंगे. छोटी-छोटी बातें 10 सीट मिलेगा. तब समझौता किया जायेगा. ऐसे निर्णय से किसी भी विपक्षी दल को फायदा नहीं होगा. जितने दलों में सहमति बनें. वह एकता होनी चाहिए.
सवाल : कई राज्यों में मुख्यमंत्री व मंत्रिमंडल बदलने को कैसे लेते हैं?
जवाब : भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल बदलने का यह संदेश है कि सरकार जनता के लिए कोई काम नहीं कर रही है. मुख्यमंत्री और मंत्री होलसेल में बदलने का निर्णय कटआउट की तरह है. जब चाहे उठाकर कहीं भी रख दें. बंगाल चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह लगातार जाते थे. वहां की हार की जिम्मेवारी दिलीप घोष पर नहीं होना चाहिए.
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सवाल : किसान आंदोलन पर क्या कहना चाहते हैं ?
जवाब : किसान आंदोलन के बाद किसानों की मांगे सरकार नहीं मानती है. जिस तरह किसानों के साथ पूरे देश के लोगों की सहमति दिख रही है. इससे सरकार को चुनाव में खामियाजा भुगतना पडेगा.
सवाल : देश की विदेश नीति और तालिबान शासन पर क्या कहना चाहते हैं?
सवाल : देश की विदेश नीति और तालिबान शासन पर क्या कहना चाहते हैं?
जवाब : भारत सरकार को चीन से सावधान रहने की जरूरत है. चीन का इतिहास शक्ति के दुरूपयोग का रहा है. भारत का इतिहास ऐसा कभी नहीं रहा है. चीन हमेशा गलत शक्तियों को साथ दिया. अभी तालिबान और पाकिस्तान को साथ दे रहा है. अब दो देशों के बीच लंबी लड़ाई नहीं होनेवाली है. सिर्फ दो मुल्कों के बीच कुछ दिनों के लिए झडप होंगे. इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर व अपनी तैयारी को हमेशा प्राथमिकता देना होगा.
Posted By : Samir Ranjan.