झारखंड : अपनी आराध्य देवी को खुश करने के लिए दहकते अंगारों पर चले भक्त, पैरों में नहीं पड़े छाले

सरायकेला के उकरी गांव में नियामाड़ा अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जहां भक्तों ने दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलते हुए अपने आराध्य के प्रति हठ भक्ति दिखाई. दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलने के बावजूद भक्तों के पैरों में छाले तक नहीं पड़े.

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2023 5:45 PM

सरायकेला, प्रताप कुमार मिश्रा : सरायकेला प्रखंड अंतर्गत ऊपर दुगनी पंचायत के उकरी गांव में बुधवार को निया माड़ा (दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलना ) का आयोजन किया गया और माता ठाकुरानी की पूजा अर्चना की गई. लगभग 30 महिलाएं पीले वस्त्र धारण कर स्थानीय सोना नदी से कलश लेकर पूजा स्थल पहुंची और कलश स्थापना करते हुए पूजा अर्चना की.

भक्तों ने दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलते हुए अपने आराध्य के प्रति हठ भक्ति दिखाई. दहकते शोलों पर नंगे पांव चलने के बावजूद उनके पैरों में छाले तक नहीं पड़े. बता दें कि उकरी गांव में विजयदशमी के दूसरे दिन नियामाड़ा अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है, जिसमें महिलाएं दहकते अंगारों पर चलतीं हैं. इस दिन महिलाएं व्रत रखतीं हैं और दोपहर में गाजा-बाजा के साथ 500 मीटर पैदल चलकर सोना नदी जातीं हैं. नदी में मां ठकुरानी की विधिवत पूजा की जाती है. फिर महिलाएं घट लेकर पूजा स्थल पहुंचतीं हैं, जहां पहले से ही लकड़ियों को जलाकर अंगारे तैयार किए जाते हैं, उन जलते अंगारों को एक लंबे गड्ढे में बिछा दिया जाता है, जिस पर व्रती नंगे पांव चलतीं हैं.

सरायकेला के कई गांवों में इस तरह की हठ भक्ति दिखाई जाती है. इन गावों में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार नियामाड़ा धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाता हैं. नियामाड़ा में भक्त उपवास व व्रत रखकर जलते आग के अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं. आपको बता दें दशहरे के दिन खरसावां के लोसोदिकी गांव में मनसा देवी से मांगी गयी मन्नतें पूरी होने की खुशी में नियामाड़ा का आयोजन किया गया, जहां महिला, बुजुर्ग समेत कई लोग ढोल व नगाड़े की थाप पर आग के जलते शोलों पर चले.

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