झारखंड की बेटी ने पेश की मिसाल: वायरोलॉजिस्ट रितिका तीन माह से पीएमसीएच में दे रहीं नि:शुल्क सेवा

सिटी सेंटर के समीप रहने वाली रितिका कुमारी (28) की पहल सराहनीय साबित हो रही है. रितिका 3 महीने से बिना किसी लाभ के माइक्रोबायोलॉजी में सेवा दे रही है. रोजाना लैब खुलने के साथ ही वह पीएमसीएच पहुंच जाती है और शाम तक सेवा देती हैं. लैब में आने वाले सैंपल की जांच प्रक्रिया में योगदान दे रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2020 1:07 PM

सिटी सेंटर के समीप रहने वाली रितिका कुमारी (28) की पहल सराहनीय साबित हो रही है. रितिका 3 महीने से बिना किसी लाभ के माइक्रोबायोलॉजी में सेवा दे रही है. रोजाना लैब खुलने के साथ ही वह पीएमसीएच पहुंच जाती है और शाम तक सेवा देती हैं. लैब में आने वाले सैंपल की जांच प्रक्रिया में योगदान दे रही है.

लॉकडाउन में आई थी धनबाद यही रह गई

रितिका मणिपाल यूनिवर्सिटी से 2017 में एमएससी की पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद से ही इंडियन स्कूल ऑफ कोलकाता में वायरोलॉजिस्ट है. वायरस पर रिसर्च करती है. वह बताती हैं कि मार्च में वह कोलकाता से धनबाद आई थी. इसी बीच लॉक डाउन हो गया और वह वापस नहीं जा पाई.

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फैल रहा था कोरोना

धनबाद में भी अप्रैल से कोरोनावायरस ने पांव पसारना शुरू कर दिया था. ऐसे में उसने पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉक्टर शैलेंद्र कुमार से मिलकर माइक्रोबायोलॉजी लैब में काम करने की इच्छा जाहिर की. प्रिंसिपल ने पदाधिकारियों से स्वीकृति लेकर उसे काम करने की इजाजत दे दी. तब से वह निशुल्क सेवा दे रही है.

उपायुक्त ने उन्हें चाय पर बुलाया

रविवार को उपायुक्त उमाशंकर सिंह पीएमसीएच निरीक्षण को पहुंचे थे इसी दौरान उनकी मुलाकात रितिका से हुई. उन्हें जानकारी दी गई थी रितिका पिछले 3 महीने से बिना किसी लाभ के माइक्रोबायोलॉजी लैब में निशुल्क सेवा दे रही हैं. उपायुक्त ने उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने घर चाय पर बुलाया. रविवार किस शाम वह अपने पिता ज्ञानेश्वर कुमार के साथ आवास पर गए. कई बातों पर हुई चर्चा उपायुक्त और रितिका के बीच वायरस पर चर्चा हुई है. वायरस का लोड कम करने के लिए कई बिंदुओं भी बताए गए हैं. उपायुक्त ने इस पर पहल करने की बात कही है. साथ ही उपायुक्त ने दूसरों की तरह उन्हें भी मानदेय देने की पहल करने की बात कही है.

बीसीसीएल में कार्यरत हैं पिता

उनके पिता ज्ञानेश्वर कुमार बीसीसीएल में कार्यरत हैं. उनकी मां सुनीति ठाकुर हाउसवाइफ है. वह बताती है कि उन्हें वायरस पर काम करती आ रही है. वायरस को समझना और फिर उसके ऊपर रिसर्च करना उन्हें पसंद है.

अपने घर में ही रहती है कोरेंटिन

रितिका ने बताया कि वह लैब से लौटने के बाद सैनिटाइज होती है. घर पहुंचने पर वह अपने परिवार से दूरी बना कर रखती है. उनके संपर्क में कोई भी ना आए इसके लिए वह अकेले ही अपने कमरे में रहती हैं. वह बताती कि उन्हें पढ़ाई करना पसंद है और वह वायरस पर ही और जानकारी जुटा रही है.

आईएमए के सचिव भी कोविड-19 में दे चुके हैं निशुल्क सेवा

आईएमए के जिला सचिव डॉ सुशील कुमार भी कोविड-19 अस्पताल में निशुल्क सेवा दे चुके हैं. उन्होंने स्वेच्छा से अस्पताल में काम करने की इच्छा जाहिर की थी. सिविल सर्जन डॉक्टर गोपाल दास ने आला अधिकारियों से बात कर उन्हें कोविड-19 अस्पताल में काम करने की इजाजत दे दी थी. 13 से 19 जुलाई तक उन्होंने कोविड-19 अस्पताल में निशुल्क सेवा दी है और अभी वह कोरेंटिन है. इससे पूर्व डॉक्टर सुशील सदर अस्पताल में हो रहे इस स्क्रीनिंग में सेवा दे चुके

Posted By: Pawan Singh

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