Jharkhand News (सागीर अहमद, कर्रा, खूंटी) : आजादी के 70 वर्ष गुजर गये, लेकिन कर्रा प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरदुला वनटोली गांव. यहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है. इसके कारण यहां निवास करने वाले 14 आदिवासी परिवार ढिबरी युग में जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं. ऐसा नहीं है कि गांव में बिजली लाने का प्रयास नहीं किया गया है, पर वह महज दिखावा साबित हुआ है.
करीब 10 साल पहले ग्रामीणों ने ग्रामसभा के माध्यम से बिजली विभाग से गांव तक बिजली पहुंचाने की मांग की थी. ग्रामीणों की मांग पर सरदुला वनटोली में बिजली विभाग द्वारा चार-पांच पोल भी लगाया गया. गांव तक कर्रा-बिरदा मुख्य सड़क से जंगल होते हुए गांव तक बिजली पहुंचना था, लेकिन कार्य बंद कर दिया गया.
बताया गया कि वन विभाग से अनुमति नहीं मिलने के कारण कार्य बंद हुआ. तब से लेकर अब तक स्थिति यथावत है. इसका खामियाजा सरदुला वनटोली के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा प्रभात खबर के सामने रखा है.
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गांव के सनिका मुंडा ने बताया कि गांव जंगल से घिरा हुआ है. बिजली नहीं रहने के कारण हमेशा जंगली जानवरों का डर बना रहता है. पिछले वर्ष जंगली हाथियों का झुंड भी गांव में घुसकर एक घर को ध्वस्त कर दिया था. वहीं, अनिल कुमार मुंडा ने कहा कि आसपास के अन्य गांव में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन सरदुला वनटोली में आज भी बिजली नहीं पहुुंची है. शाम होते ही गांव अंधकार में डूब जाता है.
छात्रा चांदु होरो ने बताया कि गांव में बिजली नहीं रहने के कारण पढ़ाई करने में काफी कठिनाई होती है. ढिबरी और लालटेन में पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता है. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए लिए दूसरे गांव जाकर मोबाइल चार्ज करना पड़ता है.
बिजली विभाग, तोरपा, खूंटी के सहायक अभियंता जितेंद्र कुमार ने कहा कि गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए ग्रामीण विद्युत विभाग, खूंटी या सहायक अभियंता कार्यालय, तोरपा में आवेदन कर सकते हैं. जल्द से जल्द गांव तक बिजली पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.