Jharkhand News : धान की फसलों में लगी बीमारी से किसान चिंतित, आर्थिक नुकसान का सता रहा भय

Jharkhand News : बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिले के बड़कागांव को झारखंड के धान का कटोरा कहा जाता है. इस प्रखंड में धान की फसलों में बांकी व गलसा की बीमारी लग गयी है. इससे किसान परेशान हैं. आपको बता दें कि यहां का धान देश के विभिन्न राज्यों में जाता है. राज्य सरकार द्वारा भी खरीदारी की जाती है, लेकिन धान की फसलों में गलसा, बांकी एवं खैरा रोग होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2020 3:41 PM

Jharkhand News : बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिले के बड़कागांव को झारखंड के धान का कटोरा कहा जाता है. इस प्रखंड में धान की फसलों में बांकी व गलसा की बीमारी लग गयी है. इससे किसान परेशान हैं. आपको बता दें कि यहां का धान देश के विभिन्न राज्यों में जाता है. राज्य सरकार द्वारा भी खरीदारी की जाती है, लेकिन धान की फसलों में गलसा, बांकी एवं खैरा रोग होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है.

किसानों ने बताया कि वे अपने खेतों में कई तरह की दवा बाजार से लाकर छिड़काव कर चुके हैं, लेकिन बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही है. बड़कागांव प्रखंड के अधिकतर गांवों में धान की फसलों में बांकी व गलसा बीमारी लगी हुई है. गलसा से बचाव करने के लिए किसान केरोसिन तेल का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन बीमारी कम नहीं हो रही है.

किसान इस बात से अत्यधिक चिंतित हैं कि बीमारी बढ़ती ही जा रही है. यही रफ्तार रही, तो धान की फसलों को काफी नुकसान होगा. किसान धर्मनाथ महतो एवं लोकन महतो ने बताया कि जिस तरह इस बार वर्षा हुई थी. उससे उन्हें उम्मीद थी कि धान की फसल अच्छी होगी, लेकिन इस बीमारी से अब डर लगने लगा है कि कहीं ज्यादा नुकसान नहीं हो जाए.

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कृषक पंचायत समिति सदस्य धर्मनाथ महतो, मुखिया अनीता देवी, उप मुखिया रंजीत कुमार मेहता ने बताया कि बांकी बीमारी को दूर करने के लिए दवा 1000 रुपये प्रति लीटर दुकान में मिलती है. ऊंची कीमत के कारण खेतों में दवा का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण आमदनी ठप हो गयी थी. कृषक महेश्वरी राम एवं दशरथ कुमार ने मांग की है कि बांकी, लसा व खैरा बीमारी से धान की फसलों को बचाने के लिए कृषि विभाग द्वारा दवा उपलब्ध करायी जाए.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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