Jharkhand News, Garhwa News, गढ़वा (पीयूष तिवारी) : स्थानीय नौकरी की आस में बैठे युवक- युवतियों को निराशा हाथ लगनेवाली है क्योंकि गढ़वा जिला अब तेजी से आउटसोर्सिंग की ओर बढ़ रहा है. पहले अनुबंध (Contract) पर प्राप्त सरकारी नौकरी को लेकर दोयम दर्जे का समझा जाता था, लेकिन अब अनुबंध पर काम कर रहे लोगों की सेवा समाप्त करते हुए उनके स्थान पर आउटसोर्सिंग के माध्मय से बहाल युवकों से काम लेने की कवायद शुरू कर दी गयी है. इस वजह से कर्मियों में निराशा और कार्यों के प्रति नकारात्मक वातावरण का निर्माण हो रहा है.
गुरुवार (4 मार्च, 2021) को हटाये गये गढ़वा जिले के 12 कंप्यूटरों की एक साथ अनुबंध समाप्त करने के बाद समाहरणालय के कर्मियों और अन्य लोगों के बीच इसको लेकर तरह- तरह की चर्चा सुनने को मिल रही है. कर्मियों में इस बात की चर्चा है कि क्या आनेवाले कुछ सालों में अन्य विभागों में भी अनुबंध पर बहाल लोगों की सेवा समाप्त करते हुए वहां भी आउटसोर्सिंग से काम लिया जायेगा. गढ़वा जिले में अभी कई महत्वपूर्ण विभाग हैं, जहां आउटसोर्सिंग से कर्मियों को बहाल कर उनकी सेवा ली जा रही है.
वर्तमान में गढ़वा जिले के महत्वपूर्ण राजस्व विभाग में बिजनेस एनालिस्ट सह कंप्यूटर ऑपरेटर, सभी अंचल, DCLR ऑफिस, SDO ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर, परिवहन विभाग में कार्ड प्रिंटिंग, कंप्यूटर ऑपरेटर व बिजनेस एनालिस्ट, आइटी असिस्टेंट, खनन विभाग में तकनीकी सहायक, निबंधन विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर, उद्योग विभाग में सहायक, जनसंपर्क विभाग में सहायक सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी एवं अन्य, गढ़वा सदर हॉस्पिटल में सफाईकर्मी, वार्ड ब्वाय, ANM, गढ़वा समाहरणालय व नगर परिषद के सफाईकर्मी आदि आउटसोर्सिंग से बहाल किये गये हैं.
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कोई सरकार जब किसी काम को करने के लिए अपने स्थायी कर्मचारी न रखकर किसी संस्थान से कर्मचारी को ठेके पर लेती है और अपना काम कराती है, तो उसे आउटसोर्सिंग कहते हैं. इसमें कर्मचारी जिसका काम करता है, उसके बदले में वेतन उसे प्रोवाइड करनेवाली कंपनी को दी जाती है. बाद में कंपनी उस कर्मी को वेतन देती है. आउटसोर्सिंग से सरकार को कम वेतन एवं खर्च में कर्मी उपलब्ध हो जाते हैं. इससे कर्मियों का शोषण होता है और उनमें हमेशा काम से हटा दिये जाने का भय बना रहता है.
कंपनी, एजेंसी या अन्य संस्थान सरकार से ज्यादा रुपये लेकर कर्मियों को कम वेतन देती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गढ़वा जिले में आउटसोर्सिंग पर बहाल अधिकांश कंप्यूटर ऑपरेटर 10 से 18 हजार रुपये प्रति माह पर काम कर रहे हैं जबकि सरकारी स्तर पर यहां अनुबंध पर बहाल कंप्यूटर ऑपरेटरों को 26 हजार रुपये से ज्यादा प्राप्त होते हैं. इस तरह से एक ही छत के नीचे एक ही तरह का काम करनेवाले कर्मियों के वेतन में विसंगतियों की वजह से उनमें हीन भावना जन्म ले रही है. गढ़वा सदर हॉस्पिटल, गढ़वा समाहरणालय आदि में बहाल कई कर्मियों को 10 हजार रुपये से भी कम वेतन प्राप्त हो रहा है जबकि वे सरकारी बाबूओं से कम लगन से काम नहीं करते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.