Jharkhand News, लातेहार न्यूज (आशीष टैगोर) : विषम परिस्थितयों में गुजर बसर करने वाले बेसहारा एवं अनाथ बच्चों के लिए खोले गये गुरुकुल को आखिरकार बंद कर दिया गया. गुरुकुल की छात्राओं के भोजन एवं रहने की व्यवस्था करने में परेशानी का हवाला देकर शिक्षा विभाग ने गुरुकुल को बंद कर दिया. विभाग ने गुरुकुल में रहने वाली छात्राओं का विभिन्न कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में नामांकन कराकर उनका बेहतर भविष्य बनाने का दावा किया है.
चार अप्रैल 2012 को लातेहार के तत्कालीन उपायुक्त राहुल कुमार पुरवार के व्यक्तिगत प्रयास से गुरुकुल की स्थापना की गयी थी. प्रारंभ में गुरुकुल का संचालन रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से किया जाता था. बाद में झारखंड शिक्षा परियोजना के द्वारा इसका संचालन किया जाने लगा. कुछ दिनों तक इसका संचालन सही ढंग से होता रहा. बाद में शिक्षा विभाग ने आवंटन नहीं रहने का हवाला देकर गुरुकुल का संचालन करने में असमर्थता जाहिर कर दी. इसके बाद से गुरुकुल के संचालन में परेशानियां आने लगीं. वर्ष 2017 में तत्कालीन उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने गुरुकुल को व्यवस्थित करने का प्रयास किया.
तीन जुलाई 2017 को तत्कालीन उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गुरुकुल का संचालन सीएसआर से कराने का निर्णय लिया गया था. बैठक में सीसीएल, सिकनी कोलियरी एवं हिंडाल्को को गुरुकुल के संचालन के लिए प्रतिमाह 25-25 हजार रूपये एवं तीन खनिज पट्टाधारियों को संयुक्त रूप से दस हजार रूपये देने का निर्देश दिया गया था. इसके अलावा जिला शिक्षा अधीक्षक को विभिन्न मदों से गुरुकुल के संचालन में सहयोग करने का निर्देश दिया गया था.
निर्णय के अलोक में सिर्फ सिकनी कोलियरी से ही गुरुकुल को प्रति माह 25 हजार रूपये का सहयोग प्राप्त होता था, लेकिन वर्तमान में सिकनी कोलियरी बंद रहने के कारण पिछले चार माह से गुरुकुल को सिकनी कोलियरी से 25 हजार रूपये का सहयोग नहीं मिल पा रहा है. गुरुकुल में बतौर केयरटेकर कार्य कर रहे सुरेंद्र उरांव एवं रसोईया कौशल्या देवी को पिछले नौ माह से मानदेय नहीं मिल रहा है. गुरुकुल बंद होने के बाद सुरेंद्र उरांव को बाल गृह भेज कर सेवायें ली जा रही हैं, लेकिन रसोईया कौशल्या देवी को वर्तमान में कोई दायित्व नहीं दिया गया है. इस कारण वह अपने घर चली गयी है.
गुरुकुल के संचालन में प्रति माह 50 से 55 हजार रूपये का खर्च है, लेकिन गुरुकुल को मात्र सिकनी कोलियरी से ही प्रति माह 25 हजार रूपये मिलते थे. 25 हजार रूपये में गुरुकुल का संचालन मुश्किल हो रहा था. यही कारण है कि आज किराना दुकानदार के पास गुरुकुल का 55 हजार रूपये बकाया है. अक्सर गुरुकुल में रसोई गैस खत्म हो जाता था. ऐसे में स्थानीय लोगों से रसोई गैस उपलब्ध कराने का आग्रह किया जाता था. तब रसोई गैस की व्यवस्था हो पाती थी. गुरुकुल की छात्राओं के पोशाक, स्वेटर व चप्पल आदि की व्यवस्था भी सामाजिक सहयोग से ही होता था.
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला कुमारी बरेलिया ने कहा कि गुरुकुल को बंद नहीं किया गया है. गुरुकुल में रहने वाली छात्राओं के भोजन एवं अन्य सुविधायें उपलब्ध कराने में परेशानी आ रही थी. इस कारण गुरुकुल से छात्राओं को हटाकर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में स्थानांतरित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह अस्थायी व्यवस्था है और अगला आदेश प्राप्त होते ही गुरुकुल का संचालन प्रारंभ कर दिया जायेगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra