PHOTOS: राजमहल गंगा घाट में साफाहोड़ आदिवासियों ने किया वैदिक स्नान, सनातन धर्म के साथ की प्रकृति पूजा
झारखंड के एकमात्र गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. यहां तीन राज्यों के साफाहोड़ आदिवासी जुटे और अपने-अपने धर्मगुरु के साथ वैदिक स्नान किया. इस दौरान उन्होंने नाच-गान भी किया. धर्मगुरु ने बताया कि साफाहोड़ आदिवासी सनातन धर्म के साथ प्रकृति पूजा भी करते हैं.
राजमहल (साहिबगंज) दीप सिंह : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल उत्तरवाहिनी गंगा तट पर गंगास्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं ने वैदिक मुहूर्त के अनुसार दो दिवसीय गंगा स्नान किया.
विशेष कर झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल से आए साफाहोड़ आदिवासियों ने गंगा तट पर अखाड़ा लगाकर मरांग बुरु एवं भगवान श्री रामचंद्र की पूजा अर्चना की. साफाहोड़ आदिवासियों ने अपने-अपने धर्म गुरुओं के साथ गंगा स्नान कर गंगा पूजन किया. बता दें कि गंगा तट पर लगभग 20 से अधिक छोटे-बड़े अखाड़ा लगाए गए थे.
राजमहल सहित संथाल परगना के विभिन्न इलाके से गैर आदिवासी श्रद्धालुओं का जत्था भी गंगा स्नान करने के लिए पहुंचा था. सभी ने गंगा पूजन के बाद दीप दान किया.
वैदिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के बाद दीप दान का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के बाद दीप दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप से मुक्ति मिलती है.
मालूम हो कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर साफाहोड़ आदिवासी हर साल वैदिक परंपरा से गंगा स्नान करते हैं. स्नान करने के बाद वह अपने-अपने धर्म गुरुओं के साथ मां गंगा की पूजा अर्चना करते हैं.
साफाहोड़ आदिवासी हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा किनारे अखाड़ा लगाकर पूजा अर्चना करते हैं. इन अखाड़ों में वह नाच-गाना कर अपने ईष्ट देवी-देवता को प्रसन्न करते हैं.
साफाहोड़ आदिवासियों में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रकृति की पूजा करने का विशेष रिवाज है. एक धर्म गुरु ने बताया की साफाहोड़ आदिवासी सनातन धर्म के साथ-साथ प्रकृति की भी पूजा करते हैं.
धर्मगुरु ने बताया कि वह धान की फसल को सूप में लेकर गंगाजल के साथ अखाड़ा में धर्म गुरुओं की मौजूदगी में पूजा अर्चना करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर राजमहल गंगा घाट पर कुंभ मेले जैसा दृश्य देखने को मिला.
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